मैं बूढ़ी धरती पर उगा
एक नन्हा-सा पौधा हूँ

समय की घड़ी पर लटका
मध्यरात्रि का शून्य!

पानी में आग को मिलाकर
धुआँ पी रहा हूँ

मैं मर रहा हूँ
दरअसल, मैं आदमी हूँ।