मैं उनका ही होता जिनसे
मैंने रूप भाव पाए हैं।
वे मेरे ही हिये बँधे हैं
जो मर्यादाएँ लाए हैं।

मेरे शब्द, भाव उनके हैं
मेरे पैर और पथ मेरा,
मेरा अन्त और अथ मेरा,
ऐसे किंतु चाव उनके हैं।

मैं ऊँचा होता चलता हूँ
उनके ओछेपन से गिर-गिर,
उनके छिछलेपन से ख़ुद-ख़ुद,
मैं गहरा होता चलता हूँ।

मुक्तिबोध की कविता 'एक-दूसरे से हैं कितने दूर'

Book by Muktibodh:

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गजानन माधव मुक्तिबोध
गजानन माधव मुक्तिबोध (१३ नवंबर १९१७ - ११ सितंबर १९६४) हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है।

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