मौजूदा दौर में
जब सुबह घर से निकले लोगों का
शाम को सकुशल लौट आना
सर्वाधिक संदिग्ध होता जा रहा है!
प्रेम ही है
जो हर सदी के यथार्थ को संत्रास बनने से रोक सकता है!
और
हमारे दौर का सबसे शर्मनाक पहलू यह भी है कि
हम इस अर्थ में पूर्ण-शिक्षित तो हो चुके हैं कि
जंगल में सर्वाधिक क़ाबिल ही ज़िन्दा बचा रहेगा..
लेकिन फिर भी
हम अब तक
प्रेम में इतने नाक़ाबिल क्यों साबित होते जा रहे हैं!