‘Naye Jamane Ki Mukri’
Bhartendu Harishchandra

सब गुरुजन को बुरो बतावै।
अपनी खिचड़ी अलग पकावै॥
भीतर तत्व न झूठी तेजी।
क्यों सखि सज्जन नहिं ‘अँगरेजी’॥

तीन बुलाए तेरह आवैं।
निज निज बिपता रोइ सुनावैं॥
आँखौ फूटे भरा न पेट।
क्यों सखि सज्जन नहिं ‘ग्रैजुएट’॥

सुंदर बानी कहि समुझावै।
बिधवागन सों नेह बढ़ावै॥
दयानिधान परम गुन-आगर।
सखि सज्जन नहिं ‘विद्यासागर’॥

सीटी देकर पास बुलावै।
रुपया ले तो निकट बिठावै॥
ले भागै मोहि खेलहि खेल।
क्यों सखि सज्जन नहिं सखि ‘रेल’॥

धन लेकर कछु काम न आव।
ऊँची नीची राह दिखाव॥
समय पड़े पर सीधै गुंगी।
क्यों सखि सज्जन नहिं सखि ‘चुंगी’॥

मतलब ही की बोलै बात।
राखै सदा काम की घात॥
डोले पहिने सुंदर समला
क्यों सखि सज्जन नहिं सखि ‘अमला’॥

रूप दिखावत सरबस लूटै।
फंदे मैं जो पड़ै न छूटै॥
कपट कटारी जिय मैं हुलिस।
क्यों सखि सज्जन नहिं सखि ‘पुलिस’॥

भीतर भीतर सब रस चूसै।
हँसि हँसि कै तन मन धन मूसै॥
जाहिर बातन मैं अति तेज।
क्यों सखि सज्जन नहिं ‘अँगरेज’॥

सतएँ अठाएँ मों घर आवै।
तरह तरह की बात सुनाव॥
घर बैठा ही जोड़ै तार।
क्यों सखि सज्जन नहिं ‘अखबार’॥

एक गरभ मैं सौ सौ पूत।
जनमावै ऐसा मजबूत॥
करै खटाखट काम सयाना।
सखि सज्जन नहिं ‘छापाखाना’॥

नई-नई नित तान सुनावै।
अपने जाल में जगत फँसावै॥
नित नित हमैं करै बल-सून।
क्यों सखि सज्जन नहिं ‘कानून’॥

इनकी उनकी खिदमत करो।
रुपया देते देते मरो॥
तब आवै मोहिं करन खराब।
क्यों सखि सज्जन नहिं ‘खिताब’॥

लंगर छोड़ि खड़ा हो झूमै।
उलटी गति प्रतिकूलहि चूमै॥
देस देस डोलै सजि साज।
क्यों सखि सज्जन नहीं ‘जहाज’॥

मुँह जब लागै तब नहिं छूटै।
जाति मान धन सब कुछ लूटै॥
पागल करि मोहि करे खराब।
क्यों सखि सज्जन नहिं ‘सराब’॥

यह भी पढ़ें:

मुकरी क्या है?
अमीर ख़ुसरो की पहेलियाँ

Book by Bhartendu Harishchandra:

Previous articleआप ने क़द्र कुछ न की दिल की
Next articleआकाशदीप
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है।

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here