‘Odhani Ke Phool’, a poem by Amar Dalpura

साँस में साँस थी उसकी
इसी ऊर्जा से जीवन चलता रहा
वो नींद और रात को मुलायम बनाकर
बेतरतीब सपनों की सिलाई करती रही
मैं उसकी ओढ़नी के फूलों में
इस तरह लिपटा रहा
जैसे अधखिले फूल पर ओस सोयी है

हाथ में हाथ था उसका
इसी विश्वास पर पैर चलते रहे
एक पल तुम जियो
एक पल मैं जीती हूँ
दो पल की ज़िन्दगी को साथ जीते हुए
दिन-रात कटते रहे…

यह भी पढ़ें:

केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘फूल तुम्हारे लिए खिला है’
सतीश चौबे की कविता ‘कारट के फूल’
प्रियम्वद की कहानी ‘होंठों के नीले फूल’

Recommended Book:

Previous articleबीती उम्र की लड़की
Next articleअनघ प्रेम

3 COMMENTS

  1. […] अमर दलपुरा की कविता ‘ओढ़नी के फूल’ सतीश चौबे की कविता ‘कारट के फूल’ विवेक नाथ मिश्र की कविता ‘गेंदे के फूल’ प्रियम्वद की कहानी ‘होंठों के नीले फूल’ […]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here