‘Padhna Likhna Seekho’, a poem by Safdar Hashmi
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो
पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो।
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो।
ओ सड़क बनाने वालो, ओ भवन उठाने वालो
ख़ुद अपनी क़िस्मत का फ़ैसला अगर तुम्हें करना है।
ओ बोझा ढोने वालो, ओ रेल चलने वालो
अगर देश की बागडोर को क़ब्ज़े में करना है।
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो।
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो।
पूछो, मज़दूरी की ख़ातिर लोग भटकते क्यों हैं?
पढ़ो, तुम्हारी सूखी रोटी गिद्ध लपकते क्यों हैं?
पूछो, माँ-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं?
पढ़ो, तुम्हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्यों हैं?
पढ़ो, लिखा है दीवारों पर मेहनतकश का नारा
पढ़ो, पोस्टर क्या कहता है, वो भी दोस्त तुम्हारा।
पढ़ो, अगर अंधे विश्वासों से पाना छुटकारा
पढ़ो, किताबें कहती हैं – सारा संसार तुम्हारा।
पढ़ो, कि हर मेहनतकश को उसका हक़ दिलवाना है
पढ़ो, अगर इस देश को अपने ढंग से चलवाना है
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो।
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो।
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