मेहंदी का हल्का रंग देखकर
ही डर जाती हैं
उनका प्रेम कम होगा सोचकर
ये लड़कियाँ कितना निश्छल प्रेम करती हैं

माँग भरते से अगर नाक पर
गिर जाए सिन्दूर
तो पति ख़ूब प्रेम करेगा ये सोच-सोचकर सिन्दूरी हो जाती हैं
ये लड़कियाँ कितना निश्छल प्रेम करती हैं

बाएँ गाल पर तिल है तो
सास की प्यारी होगी
सोचकर निश्चिन्त हो जाती हैं
ये लड़कियाँ कितना निश्छल प्रेम करती हैं

और ये निश्छल प्रेम
बलि चढ़ जाता है
पहली रसोई
पहली रात को ही
और अब उसे फ़र्क़ नहीं पड़ता मेहंदी के हल्के रंग से
नाक पर गिरे सिन्दूर से
और बाएँ गाल के तिल से
ये सब हल्के.. हल्के.. और हल्के होते जाते हैं
उसके आँसुओं से
जिन्हें छिपाती रहती है
चूल्हे के धुएँ में
और हर सुबह और रात
देखती है
प्रत्येक मिथक को टूटते,
साथ-साथ स्वयं को भी…

Recommended Book:

Previous articleहाइवे पर बसन्त
Next articleइश्क़िया
काजल खत्री
जब प्रेम हद से ज्यादा बढ़ जाता है भीतर तो उंगलियों से बाहर आता है कविता बनकर,प्रेम और कविता दोनों मेरा पहला प्यार है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here