राहुल बोयल की कविता ‘सौन्दर्य’ | ‘Saundarya’, Hindi Kavita by Rahul Boyal

मैं तुम्हारी देह की ही तारीफ़ कर सकता हूँ
कि तुम्हारी आँखें फलां झील-सी गहरी हैं
या फलां पर्वत के जैसी स्वच्छ
मैं तुम्हारी देह की ही तारीफ़ कर सकता हूँ
कि तुम्हारे होंठ किस फूल से मिलते-जुलते हैं
कि तुम चलती हो तो किस नदी सी बहती हो
मैं तुम्हारी काया के हर हिस्से की तारीफ़ में
किस न किसी चीज़ की कल्पना ही कर सकता हूँ।

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शब्द है
जिसे अन्दर की ख़ूबसूरती के लिए गढ़ा गया है
मैंने इस दुनिया के बनाये हुए
शब्दकोश को ही तो पढ़ा है
जिसके पहले से लेकर आख़िरी पन्ने तक
न जाने कितनी बार सफ़र कर लौट आया हूँ
नहीं मिला है अभी तक एक भी शब्द
जिससे कर सकूँ यह ज़ाहिर
कि तुम अन्दर से भी ख़ूबसूरत हो।

मेरी ज़ुबां से झरे हुए फूल
तुम्हारे जिस्म पर ही चुम्बन बनकर उग सकते हैं
मेरी आँखों का बहाव भी
तुम्हारी देह पर ही पानी बनकर साकार होता है
मैं तुम्हारे भीतर झाँककर
कर तो सकता हूँ महसूस, अन्तर्मन का सौन्दर्य
पर शब्दमाला कहाँ से लाऊँ?
इसलिए जब भी कहूँ मैं
कि मुझे प्रेम है तुमसे
तुम मान लिया करो
कि यही सबसे सुन्दर तरीक़ा है
अन्दर की सुन्दरता को सुन्दर कहने का!

यह भी पढ़ें:

रितिका श्रीवास्तव की कविता ‘सुन्दर और अच्छी’
रुचि की कविता ‘वो सुन्दर लड़कियाँ’
यशपाल की कहानी ‘तुमने क्यों कहा था, मैं सुन्दर हूँ’

Books by Rahul Boyal:

 

 

Previous articleचंद्रकांता : पहला भाग – दूसरा बयान
Next articleसम्मान किसे कहते हैं?
राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here