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बालक का गीत
'Baalak Ka Geet', a poem by Shyam Sundar Bhartiपुस्तक है मौन
और
अध्यापक शंकित है
बालक के चेहरे पर
प्रश्नचिह्न अंकित हैसुबह-सुबह खेत गया
खुरपी से खोदी कर
अभी-अभी आया...
हम अपने घोंसलों में चाँद रखते हैं
'Hum Apne Ghonslon Mein Chand Rakhte Hain', a poem by Deepak Jaiswalचाँद हर बार सफ़ेद नहीं दिखता
उनींदी आँखों से बहुत बार वह लाल दिखता...
मैं जानता हूँ
मैं उस किसान को जानता हूँ
जिसके खेत में इतनी कपास होती है
कि रेशे से जिसके, फांसी का फंदा बनता है।मैं उस लुहार को जानता...
पटवारी
सरकार का पटवारी गाँव आता
खीर-पुएँ खाता,
अनपढ़ किसानों की ज़मीनों को
अपने थैले में रखे होने की धमकियाँ देता
जैसे कि उसने वश में कर लिया हो
गाँव...
गाँव गया था, गाँव से भागा
गाँव गया था
गाँव से भागा।
रामराज का हाल देखकर
पंचायत की चाल देखकर
आँगन में दीवाल देखकर
सिर पर आती डाल देखकर
नदी का पानी लाल देखकर
और आँख में...
व्यस्तता
साहेब से मिलने किसान आया है
साथ में रेहु मच्छली भी लाया है
साहेब व्यस्त हैं कुछ लिखने-पढ़ने में
बीच-बीच में चाह की घूंट भी ले लेते...
बस इतना
'Bas Itna', a poem by Abdul Malik Khanमैंने कब कहा
कि मुझे कबाब बिरियानी
और काजू किशमिश का कलेवा दो
तीखी सुगन्ध से सराबोर सतरंगी पोशाक दो,
मैंने...
हल चलाने वाले का जीवन
'Hal Chalaane Wale Ka Jeewan', an essay by Sardar Puran Singhहल चलाने वाले और भेड़ चराने वाले प्रायः स्वभाव से ही साधु होते हैं।...