Tag: Kedarnath Singh
तुम आयीं
तुम आयीं
जैसे छीमियों में धीरे-धीरे
आता है रस,
जैसे चलते-चलते एड़ी में
काँटा जाए धँसतुम दिखीं
जैसे कोई बच्चा
सुन रहा हो कहानी,
तुम हँसी
जैसे तट पर बजता हो पानीतुम...
जाऊँगा कहाँ
यह कविता यहाँ सुनें:
https://youtu.be/Epjol8U949Mजाऊँगा कहाँ
रहूँगा यहींकिसी किवाड़ पर
हाथ के निशान की तरह
पड़ा रहूँगाकिसी पुराने ताखे
या सन्दूक़ की गंध में
छिपा रहूँगा मैंदबा रहूँगा किसी रजिस्टर में
अपने...
आमिर विद्यार्थी की कविताएँ
घर
तमाम धर्म ग्रंथों से पवित्र
ईश्वर और अल्लाह से बड़ा
दैर-ओ-हरम से उम्दा
लुप्त हो चुकी महान सभ्यताओं से आला
दुनिया का सबसे ख़ूबसूरत शब्द
मैं कहूँगा—घर!माँ की गोद-सा...
आना
'Aana', a poem by Kedarnath Singhआना
जब समय मिले,
जब समय न मिले
तब भी आनाआना
जैसे हाथों में
आता है जांगर,
जैसे धमनियों में
आता है रक्त,
जैसे चूल्हों में
धीरे-धीरे आती...
होंठ
'Honth', a poem by Kedarnath Singhहर सुबह
होंठों को चाहिए कोई एक नाम
यानी एक ख़ूब लाल और गाढ़ा-सा शहद
जो सिर्फ़ मनुष्य की देह से टपकता...
एक पारिवारिक प्रश्न
छोटे से आंगन में
माँ ने लगाए हैं
तुलसी के बिरवे दोपिता ने उगाया है
बरगद छतनारमैं अपना नन्हा गुलाब
कहाँ रोप दूँ!मुट्ठी में प्रश्न लिए
दौड़ रहा हूँ वन-वन,
पर्वत-पर्वत,
रेती-रेती,
बेकार..
केदारनाथ सिंह कृत ‘मतदान केन्द्र पर झपकी’
विवरण: ये कविताएँ एक कवि का पक्ष रखती हैं जिसे केदार जी इक्कीसवीं सदी की दूसरी दहाई में आकर पक्षहीन हो चुके हम लोगों...