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यशस्वी पाठक की कविताएँ
कविताएँ: यशस्वी पाठक
एक
कवि और लेखकों की शामें दोस्तों के साथ या सड़कों पर गश्त लगाते गुज़रती हैं
जहाँ गर्भ धारण करते हैं उनके मस्तिष्क
जिससे जन्म...
तुम्हारे धर्म की क्षय
वैसे तो धर्मों में आपस में मतभेद है। एक पूरब मुँह करके पूजा करने का विधान करता है, तो दूसरा पश्चिम की ओर। एक...
धर्म की आड़
इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्पात किये जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर और ज़िद की जाती है,...
तारबंदी
जालियों के छेद
इतने बड़े तो हों ही
कि एक ओर की ज़मीन में उगी
घास का दूसरा सिरा
छेद से पार होकर
साँस ले सके
दूजी हवा में
तारों की
इतनी...
विस्थापित ईश्वर
जो घटना समझ नहीं आयी, उसे हमने ईश्वर माना
और उनसे ईश्वर रचे जो समझ के अधीन हुईं।
उसने वर्षा, हवा, पेड़ों में शक्ल पायी,
और सीधे सम्बन्ध...
विषय
बन्द गिरजों, वीरान मस्जिदों
और सुनसान शिवालों के बीच
उनकी बहस का विषय है धर्म।
बीमारी और बेबसी के दौर में
मुँह से दूर होते निवालों के बीच
उनकी बहस का...
मज़हब की शुरुआत और काम का बँटवारा
अनुवाद: प्रेमचंद
पिछले ख़त में मैंने तुम्हें बतलाया था कि पुराने ज़माने में आदमी हर एक चीज़ से डरता था और ख़याल करता था कि...
कविता की परीक्षा
'Kavita Ki Pareeksha', a poem by Nishant Upadhyay
ईश्वर की परिभाषा क्या है?
हर धर्म के अपने ईश्वर होते हैं।
धर्म की परिभाषा क्या है?
धर्म ईश्वर से...
ईश्वर की खोज
गर्दन उठाकर ईश्वर को आकाश में खोजने वालों
तुमने ही धरती को रक्तपात दिया है
तुमने ही हमें मज़हबों में बाँट दिया है
तुम ही करते आए हो अपराध
और...
अम्बिकेश कुमार की कविताएँ
Poems: Ambikesh Kumar
विकल्प
उसने खाना माँगा
उसे थमा दिया गया मानवविकास सूचकाँक
उसने छत माँगी हज़ारों चुप्पियों के बाद
उसे दिया गया एक पूरा लम्बा भाषण
उसने वस्त्र माँगा मेहनताना
उसे...
ऐसा सोचना ठीक नहीं
शेर-चीता नहीं,
मनुष्य एक हिंसक प्राणी है।
हिंसा का बहाना चाहिए अहिंसा को
ईश्वर का बहाना,
सबसे ज़्यादा ख़ून बहाने वाला है
सबसे ज़्यादा पवित्र बहाना।
इसे नकारने का मानुष बहुत कम...
कब्ज़ा
'Kabza', a poem by Amandeep Gujral
दृश्य 1
एक निर्जन-सा चौराहा
बड़ा सा पेड़
साँय-साँय करती हवा
इक्का-दुक्का गाड़ियाँ
मुट्ठी भर लोग
दृश्य 2
एक छोटा-सा चौकोर पत्थर
लाल-काली रेखाएँ
थोड़ी-सी अगरबत्तियाँ और एक...