‘Titli Ke Pankh’, a poem by Prita Arvind

तितली के रंग-बिरंगे पंख देखकर
बगिया का फूल खुश हुआ
तितली से उसने कहा-
मैं शाम तक शायद न रहूँ
मुरझा कर जमीं पे
यहीं पड़ा मिलूँ
पर तुम कल भी आना बाग़ में
कोई और फूल होगा खिला
मुझसे अधिक रंगीला
और भी ख़ुशबू बिखेरता
तुम्हारी बाट जोहता।

तितली ने कहा-
मेरे भी ये पंख गिरने वाले हैं
पर कल कोई और तितली आएगी
जिसके पंख होंगे
मुझसे अधिक  रंगीन
और वो मुझसे भी
ऊँचा उड़ सकेगी
तुम घबराना मत।

बगिया में प्रेम का खेल
तितली और फूलों का मेल
चलता रहेगा यूँ ही!

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