‘Yadi Main Kahoon’, a poem by Shailendra
यदि मैं कहूँ कि तुम बिन मानिनि
व्यर्थ ज़िन्दगी होगी मेरी,
नहीं हँसेगा चाँद हमेशा
बनी रहेगी घनी अंधेरी,
बोलो, तुम विश्वास करोगी?
यदि मैं कहूँ कि हे मायाविनि
तुमने तन में प्राण भरा है,
और तुम्हीं ने क्रूर मरण के
कुटिल करों से मुझे हरा है,
बोलो, तुम विश्वास करोगी?
यदि मैं कहूँ कि तुम बिन स्वामिनि
टूटेगा मन का इकतारा,
बिखर जाएँगे स्वप्न
सूख जाएगी मधु-गीतों की धारा,
बोलो, तुम विश्वास करोगी?
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