रात तुम्हारे लिए सोने की एक कोशिश भर है
मगर मेरे लिए
ज़िन्दा रहने की तड़प से भरी हुई एक चीख।

दिन तुम्हारे लिए रोजगार की तलाश से लेकर
मौज़ उड़ाने तक का एक मुमकिन सफ़र है
मगर मेरे लिए
ख़ुद को जोड़ते-जोड़ते टूट जाने का एक गहरा सदमा।

तुम्हारा दिल इतना बड़ा है कि
दुनिया की तमाम ख़ूबसूरत चीज़ें
सहेज कर रखी जा सकती हैं ख़्वाहिशों की शक्ल में
मगर मेरे लिए
दिल एक ऐसी काली कोठरी है
जिसमें तमाम टूटे हुये सपनों की लाश दफ़न है।

तुम रोज़ बाज़ार की सरगर्मियों का लुत्फ़ उठा सकते हो
हर शाम थकान का बहाना कर ख़ुद को सुला सकते हो
मगर मेरे लिए
जितना मुश्किल है महंगी होती ज़मीनों की ख़रीद करना
उससे कहीं ज़्यादा मुश्किल है दो पल सुकून से सो लेना।

तुम मुझ पर लगा सकते हो
बहुत ज़्यादा ज़ज़्बाती हो जाने का ठप्पा
तुम इस धूल खाये शहर की हवा से निकलकर देखो
तुम्हें मेरा पसीना भी तुम्हारे ख़ून से गाढ़ा मिलेगा।

सही और ग़लत के पैमाने तय करने वाले
मेरे भीतर लगी आग में जब नहीं सेंक पाते हाथ
तब तुम्हारी मुट्ठियों में कसी हुई रेत
करके पानी की तरह इस्तेमाल
तुम्हारे हाथों ही बुझा देना चाहते हैं मुझे।

जब तक मेरे अल्फाज़ तुम्हारे कानों से होते हुये
तुम्हारे जिस्म के किसी हिस्से को छुए बग़ैर
तुम्हारी रूह पर चस्पा होंगें
तब शुरू करोगे तुम ज़िन्दा रहने की तैयारी
पर तब तक मैं मर चुका होऊंगा
क्यों कि अभी
रात तुम्हारे लिए सोने की एक कोशिश भर है
और मेरे लिए
ज़िन्दा रहने की तड़प से भरी हुई एक चीख।

यह भी पढ़ें: राहुल बोयल की कविता ‘तुम्हारी पीठ का लाल तिल’

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राहुल बोयल
जन्म दिनांक- 23.06.1985; जन्म स्थान- जयपहाड़ी, जिला-झुन्झुनूं( राजस्थान) सम्प्रति- राजस्व विभाग में कार्यरत पुस्तक- समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता - संग्रह) नष्ट नहीं होगा प्रेम ( कविता - संग्रह) मैं चाबियों से नहीं खुलता (काव्य संग्रह) ज़र्रे-ज़र्रे की ख़्वाहिश (ग़ज़ल संग्रह) मोबाइल नम्बर- 7726060287, 7062601038 ई मेल पता- [email protected]

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