‘Adla Badli’, a short story by Kahlil Gibran
एक ग़रीब कवि की एक बार शहर के एक चौराहे पर एक धनी मूर्ख से मुलाक़ात हो गई। उन्होंने बहुत-सी बातें कीं लेकिन सबकी सब बेमतलब।
तभी उस सड़क का फ़रिश्ता उधर से गुज़रा। उसने उन दोनों के कन्धों पर अपने हाथ रखे। एक चमत्कार हुआ- दोनों के विचार आपस में बदल गए।
इसके बाद वे अपने-अपने रास्ते चले गए।
चमत्कार हुआ।
कवि ने रेत देखी। उसे मुठ्ठी में उठाया और धार बनकर उसमें से उसे रिसते देखता रहा।
और मूर्ख! अपनी आँखें बन्दकर बैठ गया; लेकिन अनुभव कुछ न कर सका हृदय में घुमड़ते बादलों के सिवा।
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