“शिक्षित रहें, संगठित रहें, आन्दोलित रहें!”

 

“जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए।”

 

“पति और पत्नी के बीच घनिष्ठ मित्रों जैसा सम्बन्ध होना चाहिए।”

 

“हम सर्वप्रथम, और अंततः भारतीय हैं।”

 

“मुझे केवल वह धर्म उचित लगता है जो स्वतन्त्रता, समानता और भाईचारा की शिक्षा दे।”

 

“समुद्र में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की बूँद के विपरीत, मानव उस समाज में अपना अस्तित्व नहीं खोता, जहाँ वह रहता है। मानव जीवन स्वतन्त्र है। वह केवल समाज के विकास के लिए नहीं पैदा हुआ है, बल्कि स्वयं के विकास के लिए भी पैदा हुआ है।”

 

“एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का सेवक बनने के लिए तैयार रहता है।”

 

“बुद्धि का विकास ही मानव अस्तित्व का अन्तिम लक्ष्य होना चाहिए।”

 

“मैं किसी क़ौम की उन्नति को उस क़ौम की स्त्रियों की उन्नति से मापता हूँ।”

 

“जाति कोई ईंटों की दीवार नहीं है या कोई काँटों का तार नहीं है जो हिन्दुओं को आपस में मिलने से रोक सके। जाति एक धारणा है, मन की एक अवस्था है।”

 

“जो इतिहास भूल जाते हैं, वे इतिहास रच नहीं सकते।”

 

“अगर मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग हो रहा है, तो मैं वो पहला व्यक्ति होऊँगा, जो इसे जलाएगा।”

 

“जब तक आप सामाजिक स्वतन्त्रता को हांसिल नहीं कर लेते, क़ानून द्वारा दी गयी हर स्वतन्त्रता आपके लिए बेमानी ही रहेगी।”

 

“राजनैतिक शरीर के लिए क़ानून और व्यवस्था ही दवा हैं, और जब भी राजनैतिक शरीर बीमार होता हैं उसे क़ानून और व्यवस्था की दवा ही लगती है।”

 

“समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धान्त के रूप में स्वीकार करना होगा।”

 

“राजनीतिक अत्याचार, सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं और एक समाज सुधारक जो समाज को चुनौती देता है, वह सरकार को चुनौती देने वाले राजनीतिज्ञ से कहीं अधिक साहसी है।”

 

“यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं, तो सभी धर्मशास्त्रों की सम्प्रभुता का अन्त होना चाहिए।”

 

“उदासीनता लोगों को प्रभावित करने वाली सबसे ख़राब क़िस्म की बीमारी है।”

 

“खोए हुए अधिकार कभी भी हड़पने वाले के ज़मीर को आवाज़ देने से नहीं, बल्कि अथक संघर्ष से मिलते हैं… बलि चढ़ाने के लिए बकरों का उपयोग किया जाता है, न कि शेरों का।”

 

“संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज़ नहीं है, यह जीवन वाहक है, और इसका भाव सदा अग्रिम भाव है।”

 

“मेरे नाम की जय-जयकार करने से बेहतर है मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें!”

 

“जो व्यक्ति अपनी मृत्यु को सदैव याद रखता है, वह सदा अच्छे कार्यों में लगा रहता है।”

 

“अगर शरीर के अलग-अलग हिस्सों के पास अभिव्यक्ति की शक्ति होती और प्रत्येक यह कहता कि वह शेष से उच्चतर और बेहतर है तो शरीर टुकड़े-टुकड़े हो चुका होता।”

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बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर
भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे।

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