दूर जाकर न कोई बिसारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
यूँ बिछड़कर न रतियाँ गुज़ारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

मन मिला तो जवानी रसम तोड़ दे,
प्यार निभता न हो तो डगर छोड़ दे,
दर्द देकर न कोई बिसारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

खिल रही कलियाँ, आप भी आइए,
बोलिए या न बोले चले जाइए,
मुस्कुराकर न कोई किनारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

चाँद-सा हुस्न है तो गगन में बसे,
फूल-सा रंग है तो चमन में हँसे,
चैन चोरी न कोई हमारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

हमें तकें न किसी की
नयन-खिड़कियाँ,
तीर-तेवर सहें न सुनें झिड़कियाँ,
कनखियों से न कोई निहारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

लाख मुखड़े मिले और मेला लगा,
रूप जिसका जँचा, वो अकेला लगा,
रूप ऐसे न कोई सँवारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

रूप चाहे पहन नौलखा हार ले,
अंग-भर में सजा रेशमी तार ले,
फूल से लट न कोई सँवारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

पग महावर लगाकर नवेली रंगे,
या कि मेंहदी रचाकर हथेली रंगे,
अंग-भर में न मेंहदी उभारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

आप पर्दा करें तो किए जाइए,
साथ अपनी बहारें लिए जाइए,
रोज़ घूँघट न कोई उतारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

एक दिन क्या मिले, मन उड़ा ले गए,
मुफ़्त में उम्र-भर की जलन दे गए,
बात हमसे न कोई दुबारा करे,
मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

गोपाल सिंह नेपाली
गोपाल सिंह नेपाली (1911 - 1963) हिन्दी एवं नेपाली के प्रसिद्ध कवि थे। उन्होने बम्बइया हिन्दी फिल्मों के लिये गाने भी लिखे। वे एक पत्रकार भी थे जिन्होने "रतलाम टाइम्स", चित्रपट, सुधा, एवं योगी नामक चार पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। सन् १९६२ के चीनी आक्रमन के समय उन्होने कई देशभक्तिपूर्ण गीत एवं कविताएं लिखीं जिनमें 'सावन', 'कल्पना', 'नीलिमा', 'नवीन कल्पना करो' आदि बहुत प्रसिद्ध हैं।