ओ प्यारी पृथ्वी
हम सब की दुलारी पृथ्वी

दर्शन ने तुझे सहलाया
पुचकारा और दुलराया
पाया उसने तुम्हारा
रूप, रस और गंध

विज्ञान ने तुम्हें खोदा और बींधा
आदमी का उसने उल्लू किया सीधा

राजनीति ने तुम्हें बांटा
दिया उसने सन्नाटा
हैं उसके कई प्रसंग
दी उसने कई जंग

धर्म भी कुछ कम नहीं
किया उसने तुम्हारा शील भंग
पैदा कर भगवान को तुम्हारे कोख से
बजा रहा सब ओर है मृदंग।

(ई ई कमिंग्स की एक अंग्रेजी कविता पर आधारित)

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