‘Phoro Aur Goro’, a poem by Amar Dalpura

बच्चों ने घड़ी से पहले समय को जाना
परछाई देखकर अनुमान लगाते हैं समय का
आकाश को नीला करते हुए
आसमानी बुरसैट में स्कूल जाते हैं
जो स्कूल नहीं जा पाते
वो देखते हैं स्कूल जाते हुए बच्चों को

बहुत-सी औरतों ने स्कूल नहीं देखा
अपनी लड़की को स्कूल जाते देखकर
ज़माना बदलने की बात कहती हैं
वो भूल जाती हैं अपने दुःखों को
अपनी इच्छाओं को, बेटी की खुशी में,
इस तरह मिला देती हैं
जैसे दुःख और इच्छा में कोई अन्तर नहीं होता!

फोरो और गोरो दो बहनें हैं
तैयार करती हैं छोटे भाई को
निजी स्कूल के लिए
फिर दो चोटी बनाकर
दोनों चली जाती हैं सरकारी स्कूल में!
और इस तरह बात करती हैं
जैसे भाई की किताब में लिखा है उनका भविष्य!

यह भी पढ़ें: अमर दलपुरा की कविता ‘ओढ़नी के फूल’

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