तुम्हारी आँख के आँसू हमारी आँख में
तुम्हारी आँख मेरी आँख में
तुम्हारा धड़कता सौन्दर्य
मेरी पसलियों की छाँव में
तुम्हारी नींद मेरे जागरण के पार्श्व में
तुम्हारी करवटें चुपचाप मेरी सलवटों में
तुम्हारी एक-एक कराह मेरी आह में।

पिछली रात की वह प्रात
अवाक् बैठे हम
तुम्हें मैं निरखता चुपचाप
मन में अनकहा सब
रह गया परिताप

Book by Doodhnath Singh:

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दूधनाथ सिंह
दूधनाथ सिंह (जन्म: १७ अक्टूबर, १९३६ एवं निधन १२ जनवरी, २०१८) हिन्दी के आलोचक, संपादक एवं कथाकार हैं। दूधनाथ सिंह ने अपनी कहानियों के माध्यम से साठोत्तरी भारत के पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक एवं मानसिक सभी क्षेत्रों में उत्पन्न विसंगतियों को चुनौती दी।

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