Poems by Vivek Kumar Jain
चाहत
मुझे नहीं होना बुद्ध
न चाहिए प्राप्य मोक्ष
मैं बस तुम्हारी देह की छाँव में
निरन्तर मनुष्य होना चाहता हूँ,
किसी वनमानुष की नाख़ून कुतर
इंसान होने की चाहत है
कविताएँ
तुम्हारे बिना सूख जाती हैं,
इन ज़र्द पत्तों का ज़र्दा भी नहीं बन सकता
कि कोई थका मज़दूर बीड़ी ही फूँक सके
गटर में पसरा सन्नाटा है देह
जिसमें घुसा कोई सफाईकर्मी मरने वाला है,
तुम्हारे बग़ैर
मन को अमन नहीं है
देह में ख़ून नहीं
नाख़ून बढ़ रहे हैं
कि किसी पीली सुबह
सूरज कतर रात उगा लेंगे
तुम एक हरी दुनिया हो
जो मेरा पतझड़ सोख लेती हो
तुम्हें पाना नहीं चाहता
ये ऑनरशिप सा है
ये आखेटप्रेमियों के काम हैं
किसी सड़क
एक दूसरे में उलझ
हम सड़कनामा हो लें
मुसाफ़िर! ये ख़याल अच्छा है!
रोटी और प्रेम
मैंने रोटियाँ बेलीं
जैसे कोई गोल महाद्वीप बना दिया हो,
उसने मुझे चूमा
जैसे ज़िन्दगी मुझमें भर रही हो,
हमने रोटियाँ गाँव में बाँट दीं
और ख़ाली पेट सो गये
जैसे प्रेम के बाद मृत्यु का भय
चला गया हो
उस लड़की से गले लगकर
उस लड़की के गले लगकर
मैंने महसूस किया कि
दुनिया- जिसे मैं वाहियात कहता हूँ सुन्दर भी हो सकती है,
कविताएँ किन्ही कारणों से लिखी जाती हैं,
और आशा अभी भी कि जा सकती है कल से..
उस लड़की के गले लगकर
लगा कि जैसे
मुकम्मल हो गया हूँ मैं
और साँसों को मिल गई है रवानगी
उस लड़की के गले लगकर
मैंने महसूस किया कि
सिर्फ़ ‘मैं’ होकर भी मैं जी सकता हूँ
और अभावों का बोझ भी बिना थके ढो सकता हूँ
मैंने महसूस किया कि
हमेशा सपनों के बोझ ढोना ज़रूरी नहीं
और आँखों में चमक के लिए जीतना ज़रूरी नहीं
उस लड़की के गले लगकर
मैंने महसूस किया कि
प्यार के कई मायने होते हैं
और चूमने के लिए ज़रूरी नहीं होता एकांत
और आदमी सिर्फ़ ज़िस्म नहीं है
लेकिन आदमी सिर्फ़ एहसास हो सकता है
मैंने महसूस किया कि
सारी तमन्नाएँ ज़िन्दगी की
एक एहसास पे क़ुर्बान की जा सकती हैं
और सारी ज़िन्दगी ऐसे ही गुज़ारी जा सकती है
उस लड़की के गले लगकर
मैंने महसूस किया कि
आधे पेट रहकर भी साथ रहने वाले लोग
खाप पंचायत से बेमौत मरने वाले लोग
और घर से भाग जाने वाले लोग
गले लगकर ऐसा कर गुज़रने की हिम्मत पा जाते हैं
मैंने महसूस किया कि
मैं आधी रोटी ख़ुद खा, आधी उसे खिला
और बाक़ी बचे ख़ाली आधे पेट भी दिन गुज़ार सकता हूँ
(हालाँकि ऐसा कहना बहुत फ़िल्मी है, फिर भी)
अंतत: मैंने महसूस किया कि
ज़िंदा रहने के लिए
दिन में एक दफ़े उससे गले लगना ज़रूरी है!
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