कविता संग्रह ‘भेड़ियों ने कहा शुभरात्रि’ से

ज़रूरत

फ़ौरी ज़रूरत थी
हथियारों को गलाकर
विशाल बुत बना लिया,
कल की कल देखेंगे
इस बुत को गलाकर
फिर हथियार बना लेंगे।

शिखर

यहीं ठीक हूँ
दिख तो रहा है
यहाँ से भी शिखर-
हज़ार दुश्मन मिलेंगे वहाँ,
जी!
डरता हूँ
दुश्मनों से?
ना जी
शिखरों से!

घोंसले

सिर्फ़ तिनकों के सहारे
नहीं बनते घोंसले-
देखो! ज़रा ग़ौर से
इस सृष्टि को,
कुछ टूटे हुए पंख भी
दिख जाएँगे
इधर उधर।

बीमार

एक बूढ़ी स्त्री ने
जब अपनी दवा की पर्ची के साथ
अपने बेटे की तरफ़
एक मुड़ा-तुड़ा नोट भी बढ़ाया
तो अहसास हुआ
कि ये दुनिया
वाक़ई बीमार है।

यह भी पढ़ें: मणि मोहन के कविता संग्रह ‘भेड़ियों ने कहा शुभरात्रि’ से अन्य कविताएँ

Books by Mani Mohan:

 

 

Previous articleकवि, एक रात, निर्वस्त्र
Next articleक्षुद्रता, यह रात, डूबना
मणि मोहन
जन्म: 02 मई 1967, सिरोंज, विदिशा (म.प्र.) | शिक्षा: अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर और शोध उपाधि | सम्प्रति: शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गंज बासौदा में अध्यापन। प्रकाशन: वर्ष 2003 में कविता संग्रह 'क़स्बे का कवि एवं अन्य कविताएँ', 2012 में रोमेनियन कवि मारिन सोरेसक्यू की कविताओं की अनुवाद पुस्तक 'एक सीढ़ी आकाश के लिए', 2013 में कविता संग्रह 'शायद', 2016 में कविता संग्रह 'दुर्दिनों की बारिश में रंग' तथा तुर्की कवयित्री मुईसेर येनिया की कविताओं की अनुवाद पुस्तक 'अपनी देह और इस संसार के बीच', 2020 में कविता संग्रह 'भेड़ियों ने कहा शुभरात्रि' प्रकाशित। सम्पर्क: [email protected]

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here