‘Prem Karna Chaukhat Laanghna Hai’, a poem by Rashmi Malviya

बहुत सी स्त्रियाँ हैं
जो प्रेम करती हैं ठीक मरने के पहले
जो जानती हैं
अब जीना सम्भव नहीं

प्रेम करना और मरना एक ही बात है…

वो जानती हैं
कुँए में नाव नहीं चलायी जाती…

कमरे के सूनेपन से उभरकर
दीवारों पर उँगलियों से बनाती हैं कुछ भित्तिचित्र,
जब साँस लेने का समय आता है
उन चित्रों से माँगती हैं उधार,
रहने देती हैं
यूँ ही पड़ी रहने वाली दीवार के रंग

वो जानती हैं दीवार ख़ूब मज़बूत है
वो ये भी जानती हैं कि चौखट के पार कोई संसार नहीं।

प्रेम करना चौखट लाँघना है
फिर भी करती हैं प्रेम
आग, पानी, आकाश, नदी का बहाव
सब समेट लेती हैं।

यह भी पढ़ें: रश्मि मालवीय का लेख ‘तुम्हारी अमृता’

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