Tag: आदिवासी

Mahadev Toppo

रूपांतरण

जब तक थे वे जंगलों में मांदर बजाते, बाँसुरी बजाते करते जानवरों का शिकार अधनंगे शरीर वे बहुत भले थे तब तक उनसे अच्छा था नहीं दूसरा कोई नज़रों में तुम्हारी छब्बीस...
Nirmala Putul

बाहामुनी

तुम्हारे हाथों बने पत्तल पर भरते हैं पेट हज़ारों पर हज़ारों पत्तल भर नहीं पाते तुम्हारा पेट कैसी विडम्बना है कि ज़मीन पर बैठ बुनती हो चटाइयाँ और...
Adivasi Nahi Nachenge

प्रवास का महीना

'आदिवासी नहीं नाचेंगे' झारखंड की पृष्ठभूमि पर लिखी कहानियाँ हैं जो एक तरफ़ तो अपने जीवन्त किरदारों के कारण पाठक के दिल में घर...
Hariram Meena

हरिराम मीणा की क्षणिकाएँ

'आदिवासी जलियाँवाला एवं अन्य कविताएँ' से 1 जो ज़मीन से नहीं जुड़े, वे ही ज़मीनों को ले उड़े! 2 यह कैसा अद्यतन संस्करण काल का जिसके पाटे पर क्षत-विक्षत इतिहास चिता पर जलते आदर्श जिनके लिए...
Birsa Munda

बिरसा मुंडा की याद में

'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से अभी-अभी सुन्न हुई उसकी देह से बिजली की लपलपाती कौंध निकली जेल की दीवार लाँघती तीर की तरह जंगलों में पहुँची एक-एक दरख़्त, बेल, झुरमुट पहाड़, नदी,...
Hariram Meena

आदिवासी लड़की

'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से आदिवासी युवती पर वो तुम्हारी चर्चित कविता क्या ख़ूबसूरत पंक्तियाँ— 'गोल-गोल गाल उन्नत उरोज गहरी नाभि पुष्ट जंघाएँ मदमाता यौवन...' यह भी तो कि— 'नायिका कविता की स्वयं में सम्पूर्ण कविता ज्यों हुआ...
Kamal Kumar Tanti

जिस दिन हमने अपना देश खोया

'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से बचपन के मैग्नीफ़ाईंग ग्लास में सबसे पहली झलक में देख पाता हूँ अपनी ज़मीन के पास किसी चट्टान पर बैठा हुआ ख़ुद को मुझे याद...
Nirmala Putul

अगर तुम मेरी जगह होते

ज़रा सोचो, कि तुम मेरी जगह होते और मैं तुम्हारी तो, कैसा लगता तुम्हें? कैसा लगता अगर उस सुदूर पहाड़ की तलहटी में होता तुम्हारा गाँव और रह रहे होते तुम घास-फूस...
Mahadev Toppo

प्रश्नों के तहख़ानों में

'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से देखता हूँ पहाड़ से उतरकर आकर शहर हर कोई मेरी ख़ातिर कुछ-न-कुछ करने में है व्यस्त कोई लिख रहा है— हमारी लड़खड़ाती ज़िन्दगी के बारे में पी. साईनाथ...
Woman with tied child, Mother, Kid

बिचौलियों के बीज

'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से माँ! मेरा बचपन तो तुम्हारी पीठ पर बँधे बीता— जब तुम घास का भारी बोझ सिर पर रखकर शहर को जाती थीं। जब भी आँखें खोलता घास की...
Girl in Red and White Dress, Kids

पहाड़ के बच्चे

'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से  मूल अंग्रेज़ी ‘स्टोन-पीपुल’ का हिन्दी अनुवाद अनुवाद: अश्विनी कुमार पंकज पहाड़ के बच्चे काव्यात्मक और राजनीतिक बर्बर और लयात्मक पानी के खोजकर्ता और आग के योद्धा पहाड़ के...
Ram Dayal Munda

राम दयाल मुण्डा की कविताएँ

उनींद नदी की बाँहों में पड़ा पहाड़ सो रहा है और पूछे-अनपूछे प्रश्नों के जवाब बड़बड़ा रहा है। अनमेल लोगों के कहने से कह तो दिया कि साथ बहेंगे पर मन नहीं मिल...
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