Tag: पिता

Father, Hands, Child, Hold

पितृ-स्मृति, पिता की आख़िरी साँस

Poems: Santwana Shrikant पितृ-स्मृति दीवार पर टँगी तस्वीर मेरे पिता की, और उस पर चढ़ी माला, खूँटी पर टँगी उनकी शर्ट, घड़ी जो आसपास ही पड़ी होगी, उनके न होने की कमी पूरी नहीं...

टेलिपैथी

लकी राजीव की कहानी 'टेलीपैथी' | 'Telepathy', a story by Lucky Rajeev "बेटा, ये पलाजो क्या होता है?" मैंने मिनी के बालों में तेल लगाते...

सम्बल

'Sambal', a poem by Mohit Payal ज़िन्दगी प्रश्न पूछती है कभी कठोर, कभी अनुत्तरदायी लेकिन रास्ते भी सुझाती है सरल से पर अनखोजे हुए ज़िन्दगी का स्वभाव बिल्कुल मेरे...

रोटी बनाते हुए पिता

'Roti Banate Hue Pita', a poem by Usha Dashora मेरे छोटे हाथ में चीनी के दाने होते दूसरे हाथ में पिता की उँगली और पाँवों में सात...
Deepak Jaiswal

बाबूजी

बाबूजी की मूँछ बहुत बार प्रेमचन्द की तरह लगती है कई आलोचक बताते हैं प्रेमचन्द ने अपनी मूँछ लमही के रघु नाई से हुबहू होरी की तरह कटवायी थी। बाबूजी के...
Shabana Kaleem Awwal

शबाना कलीम अव्वल की नज़्में

Poems by Shabana Kaleem Awwal बाप उदास शाम को बाँहों में भरकर बुज़ुर्ग बाप के चेहरे को हाथों में भर लूँ चूम लू उनको बेसाख़्ता उन रोशनियों के एवज़...
Father, Hands, Child, Hold

अनन्त सम्भावनाओं का अन्तिम सच

'Anant Sambhaavnaaon Ka Antim Sach', Hindi poem by Harshita Panchariya पिता, अनन्त के विस्तार के अन्तिम छोर में, शून्यता समेटे वह ठोस ग्रह है जो वास्तव में तरलता से निर्मित है। पिता,...
Baby, Mother, Parent, Father

पिता का उत्कृष्ट

जमाकर देखता हूँ जब जीवन सफर क्रम से.. पितरों के प्रतापों से पनपते वंश की गहरी जड़ों से.. बन चुके वटवृक्ष के शिखर सम से... उम्र महकती है अभी भी बालपन...
Vishnu Khare

जो मार खा रोईं नहीं

तिलक मार्ग थाने के सामने जो बिजली का एक बड़ा बक्स है उसके पीछे नाली पर बनी झुग्गी का वाक़या है यह चालीस के क़रीब उम्र का बाप सूखी...

पिता

पिता मेरी धमनियों में दौड़ता रक्त और तुम्हारी रिक्तता महसूस करती मैं, चेहरे की रंगत का तुमसा होना सुकून भर देता है मुझमें मैं हूँ पर तुमसी दिखती तो हूँ खैर हर...
Father, Bike, Market, Man

पापा

"वैसे भी वह डॉक्टर साहब भी मेरे पापा की तरह ही हैं। उनका बेटा रय्यान मेरा सहपाठी है और वह भी अपने पापा से 'एटीएम' के जैसे ही बात करता है, सिर्फ़ सवाल और जवाब। बल्कि मुझे लगता है कि हिंदुस्तान में ज़्यादातर लड़कों और उनके पिताओं के बीच इसी तरह और इतना ही संवाद होता है।"
Kabin Phukan

एक पिता

घुप्प अँधेरे में जंगल की राह रोके खड़ा था फन फैलाए एक साँप द्रुत गति से लौट रहा था घर को उसी राह से बेचारा केंहूराम और... वो था एक अड़ियल साँप दोनों कुछ...
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