Tag: Night
रात
सबसे पहले
शुरू होता है माँ का दिन
मुँह अंधेरे
और सबके बाद तक
चलता हैछोटी होती हैं
माँ की रातें नियम से
और दिन
नियम से लम्बे
रात में दूर तक...
रात्रिदग्ध एकालाप
1बारूद के कोहरे में डूब गए हैं पहाड़,
नदी, मकान, शहर के शहर।
बीवी से छिपाकर बैंक में पैसे डालने
का मतलब नहीं रह गया है
अब।2मुझे चुप...
पुरु मालव की कविताएँ
पार्टनर, तुम्हारी जात क्या है
सच ही कहा था शेक्सपियर ने
'नाम में क्या रखा है'
जो कुछ है, जाति है
नाम तो नाम है, जाति थोड़ी है
जो...
सारी रात
दूसरा गिलास भी ख़ाली था। मेरा गिलास, जो पहला गिलास नहीं था, ख़ाली हो रहा था। मैंने दूसरे गिलास को भी भर दिया और...
रात आधी खींचकर मेरी हथेली
रात आधी, खींचकर मेरी हथेली, एक उँगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरों में
और चारों ओर दुनिया सो रही थी,
तारिकाएँ ही...
रात कितनी ही फ़िक्रें सर पर थीं
'Raat Kitni Hi Fikrein Sar Par Thin', a nazm by Tasneef Haidar
रात कितनी ही फ़िक्रें सर पर थींजिस मकां में मेरी रिहाइश है
उसे दो...
उलटे पैर
'Ulte Pair', a poem by Dwarika Uniyalभटकती आँखों के ज्वालामुखी
ट्रैफ़िक सिग्नल पे बत्तियाँ नहीं देखते
मानों
फिसलते आँसुओं के बुलबुले में पिघलता लावा क़ैद हो!
गरज़ती बिजलियों की तड़प दिखती पहले है
और सुनायी बहुत बाद में
वैसे
घास काटती दरातियों से...
एक शाम सिर्फ़ अँधेरे से सजाई जाये
एक शाम सिर्फ़ अँधेरे से सजाई जाये
हवाएँ दबे पाऊँ आकर
स्लाइडिंग की दराज़ों में
बैठ जाएँ
तुम्हारी पिंडिलयों पर
मेरे पैर का अंगूठा लिख रहा हो
रात का सियाह...
चाँदनी रात में
तुम जो बनती मौसम चाँदनी रात में,
ज्वार उठते हैं मुझमें चाँदनी रात में।
साँस के बहाने कलियाँ भरती हैं गंध,
जब तुम गुज़रती चाँदनी रात में।
दिल...
मामी निशा
चंदा मामा गए कचहरी, घर में रहा न कोई,
मामी निशा अकेली घर में कब तक रहती सोई!
चली घूमने साथ न लेकर कोई सखी-सहेली,
देखी उसने...
जुगनू
पेड़ पर रात की अँधेरी में
जुगनुओं ने पड़ाव हैं डाले
या दिवाली मना चुड़ैलों ने
आज हैं सैकड़ों दिये बाले
तो उँजाला न रात में होता
बादलों से भरे...
रात का अपनापन
जब सब कुछ चुप हो, निःशब्द
तब का शोर सबसे तीव्र होता है।
बारिश की आखिरी बूँद का धीरे से भी
ज़मीन पर पैर रखना सुनाई दे...