Tag: poetry
प्रीती कर्ण की कविताएँ
समय असमय के केन्द्र
समय कब ठहरा
उन्मादित अवसादित क्षणिकाएँ
प्रतिस्पर्धा की सीमाएँ लाँघती
सन्दर्भों के भँवर जाल में
उलझी-सुलझी
व्यतिक्रम की प्रतीक्षा में
लगी रहीं।समय पर समय का लौटना
जब नहीं होता
असमय...
कविता के भ्रम में
क्या तुम कविता की तरफ़ जा रहे हो?
नहीं, मैं दीवार की तरफ़
जा रहा हूँ।फिर तुमने अपने घुटने और अपनी हथेलियाँ
यहाँ क्यों छोड़ दी हैं?
क्या...
मीना पाण्डेय की कविताएँ
Poems: Meena Pandey
सबसे अच्छी कविता
सबसे अच्छी कविता उतर रही थी जब
मुझे धूप में बोयाम सरकाना था, छत से उतार लाने थे ज़िम्मेदारियों के कपड़े
सारा...
मन के पार
'Man Ke Paar', a poem by Preeti Karnश्रेष्ठतम कविता लिखना
उस वक़्त
सम्भव हुआ होगा
जब खाई को पाटने के
लिए नहीं बची रही
होगी
कच्ची मिट्टी की
ढेर।
ऊँचे टीलों की...
गद्य-वद्य कुछ लिखा करो
गद्य-वद्य कुछ लिखा करो। कविता में क्या है।
आलोचना जगेगी। आलोचक का दरजा –
मानो शेर जंगली सन्नाटे में गरजा
ऐसा कुछ है। लोग सहमते हैं। पाया...
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना का जूता, मोजा, दस्ताने, स्वेटर और कोट
जूता, मोजा, दस्ताने, स्वेटर और कोट- ये सब चीज़ें कपड़ों की किसी अलमारी से नहीं, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के कविता संग्रह 'खूटियों पर टंगे लोग' के पन्नों...
संग-ए-मील
10 सितंबर 2017, रविवार के दिन जब आधी दिल्ली, शाम के मनोरंजन के प्लान बना रही थी, तब दिल्ली का एक कोना सुबह से...