Tag: Prayers
अँधेरे में प्रार्थना
ले चलो मुझे इस लोक से दूर कहीं
जहाँ निर्धन धनवानों को चुनते नहीं
जहाँ मूर्ख और पंगु नहीं बनते बुद्धिमान
जहाँ निर्बल स्त्रियों पर वीरता नहीं...
प्रार्थना बनी रहीं
रोटियाँ ग़रीब की, प्रार्थना बनी रहीं!
एक ही तो प्रश्न है रोटियों की पीर का
पर उसे भी आसरा आँसुओं के नीर का
राज है ग़रीब का,...
कविताएँ — जुलाई 2020
शहर
1
किसी पुराने शहर की
गलियों के पत्थर उखड़ने लगे हैं
कुछ बदरंग इमारतें ढह गई हैं
बेवश एक बुज़ुर्ग
आसमान देखता है
और अपनी
मौत का इंतज़ार करता है
उस बुज़ुर्ग की...
प्रार्थनाओं से बचना
दुःखों में बचे रहना चाहते हो
तो प्रार्थनाओं से बचना
प्रार्थना रत हथेलियों के बीच से बह जाता है
एक हिस्सा जुझारूपन
एक हिस्सा जिजीविषा
प्रार्थनाएँ प्रमेय हैं
जो सिद्ध...
राम दयाल मुण्डा की कविताएँ
सूखी नदी/भरी नदी
सूखी नदी
एक व्यथा-कहानी
जब था पानी
तब था पानी!
भरी नदी
एक सीधी कहानी
ऊपर पानी, नीचे पानी।
विरोध
उसे बाँधकर ले जा रहे थे
राजा के सेनानी
और नदी
छाती पीटकर...
भ्रम
स्मृतियों में
सहेजने के तौर पर
दिए गए सभी चुम्बन
पीड़ा में ऐसे भ्रम बनाए रखते हैं,
मानो आँख खुलते ही
ईश्वर सामने नज़र आ जाएगा।
यूँ बंद आँखों के...
कठघरे में भूमिका, वो बात
Poems: Yogesh Dhyani
कठघरे में भूमिका
सन्देह से परे था
तुम्हारा प्रेम
फिर क्यों
हाथ आया विछोह
अनुपस्थित था शायद कोई
तुम्हारी प्रार्थना से
असम्भव है मान पाना
कि तुमने नही माँगा मुझे
अपनी प्रार्थना...
प्रार्थना
'Prarthana', poems by Rupam Mishra
पराई पीड़ा में बहने वाले आँसू
प्रार्थना के गीत होते हैं!
क्षणिक ही सही
कम से कम उस पल के लिए हम पवित्र...
प्रार्थनाएँ
स्वयं से संवाद में
आकार लेती हैं,
प्रार्थनाएँ मन की
थाह लेती हैं।
उगती है दिल की
कच्ची ज़मीं पर,
प्रार्थनाएँ अंधेरों में
पनाह लेती हैं।
उसके रचे से बचे
के लिए होती...
आख़िरी दुआ
आख़िरी दुआ माँगने को हूँ
आसमान पर, रात के सिवा, कुछ नहीं रहा
कौन मुट्ठियाँ, रेत से भरे
पानियों का रुख, शहर की तरफ़, अब नहीं रहा।
कितने...