अनुवाद: पुनीत कुसुम

कोई भी व्यक्ति जो अकेला जीवन जीता है और फिर भी यदा-कदा कहीं जुड़े रहना चाहता है, कोई भी व्यक्ति जो दिन में समय के बदलाव, मौसम, उसके व्यापार की दशा या ऐसी ही चीज़ों के अनुसार अचानक कोई सहारा चाहता है जिसे वह दृढ़ता से पकड़ सके – वह अधिक समय तक एक ऐसी खिड़की के बगैर नहीं रह पाएगा जो बाहर गली में खुलती हो। और अगर वह किसी भी वस्तु की इच्छा नहीं रखता और थके कदमों से केवल खिड़की की ओर बढ़ता है और बेमन से कभी लोगों और कभी आसमान की तरफ देखता है, खिड़की को ऊपर उठाए या अपने सिर को निकालकर बाहर की तरफ देखे बगैर, तब भी नीचे दौड़ते घोड़े उसका ध्यान अपने गाड़ियों के कारवाँ और कोलाहल की तरफ खींच ही लेंगे और अंततः उसे जीवनधारा से जोड़ ही देंगे!

Previous articleकुछ लाग कुछ लगाव मोहब्बत में चाहिए
Next articleहमने कुत्ता पाला
फ़्रांत्स काफ़्का
फ़्रेंज़ काफ्का (३ जुलाई १८८३ - ३ जून १९२४) बीसवीं सदी के एक सांस्कृतिक रूप से प्रभावशाली, लघु कहानियां और उपन्यास के जर्मन लेखक थे। उनकी रचनाऍं आधुनिक समाज के व्यग्र अलगाव को चित्रित करतीं हैं। समकालीन आलोचकों और शिक्षाविदों, व्लादिमिर नबोकोव सहित, का मानना है कि काफ्का 20 वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक है। "Kafkaesque" अंग्रेजी भाषा का हिस्सा बन गया है जिसका उपयोग 'बहकानेवाला', 'खतरनाक जटिलता' आदि के संदर्भ में किया जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here