अनुवाद: पुनीत कुसुम
कोई भी व्यक्ति जो अकेला जीवन जीता है और फिर भी यदा-कदा कहीं जुड़े रहना चाहता है, कोई भी व्यक्ति जो दिन में समय के बदलाव, मौसम, उसके व्यापार की दशा या ऐसी ही चीज़ों के अनुसार अचानक कोई सहारा चाहता है जिसे वह दृढ़ता से पकड़ सके – वह अधिक समय तक एक ऐसी खिड़की के बगैर नहीं रह पाएगा जो बाहर गली में खुलती हो। और अगर वह किसी भी वस्तु की इच्छा नहीं रखता और थके कदमों से केवल खिड़की की ओर बढ़ता है और बेमन से कभी लोगों और कभी आसमान की तरफ देखता है, खिड़की को ऊपर उठाए या अपने सिर को निकालकर बाहर की तरफ देखे बगैर, तब भी नीचे दौड़ते घोड़े उसका ध्यान अपने गाड़ियों के कारवाँ और कोलाहल की तरफ खींच ही लेंगे और अंततः उसे जीवनधारा से जोड़ ही देंगे!