‘Yeh Mera Jism Mera Jism Nahi Hai Logon’, Urdu Nazm by Shahbaz Rizvi

ये मेरा जिस्म मेरा जिस्म नहीं है लोगों
ये इक क़ब्रगाह है
जिसमें दफ़्न है
एक बच्चे का बचपन
एक शायर की जवानी
सब यतीमों की कहानी
एक मुसव्विर की उँगलियाँ, कटी उँगलियाँ
एक दरिया और उसके दोनों किनारे

तो ये मेरी मौत से मोहब्बत मेरी नहीं है
कि जब कोई आशिक़,
पत्थर के साथ अपना दिल बाँध कर
दरिया में फेंकता है,
तो उससे बनने वाली जलतरंगें मेरे जिस्म पर निशान छोड़ती हैं

तो ये मेरी मौत से मोहब्बत मेरी नहीं है
कि जब कोई मुसव्विर अपनी तसवीर में उँगलियाँ ढूँढता है
तो मेरे जिस्म पर नक़्श बनते तो हैं, प कोई रंग टिकते नहीं

तो ये मेरी मौत से मोहब्बत मेरी नहीं है
कि जब कोई शायर, एक मिसरा कहे और घण्टों उसपे रोता रहे
तो मेरे जिस्म पर नज़्म की पेड़ से फूल झड़ते नहीं

तो ये मेरी मौत से मोहब्बत मेरी नहीं है
कि जब कोई बच्चा मुझमें करवट लेता है तो क़ब्रगाह पर शिकनें आ ही जाती हैं!

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