ताओयुआन एरपोर्ट से लगेज बैग लेकर
ज्यांगोंग रोड स्थित अपने नये ठिकाने पर आकर
सामान की जाँच करने पर मैंने पाया
सही सलामत बैग में रखे पहुँच गये कपड़ों, तेल, मसालों के साथ
बैग के बाहर के उपेक्षित हिस्से में रखे चले आए थे
पुराने जूते
रखते समय, मैं झड़कारना भूल गया था
उनके सोल में लगी बरसाती मिट्टी
उस मिट्टी के वहाँ रह जाने में
मेरी लापरवाही का प्रमाण था
फिर मैंने ध्यान दिया कि
मिट्टी के कणों में
मैं अपने साथ ले आया था
अगस्त की बारिश
उत्तराखंड से राजस्थान की बरसाती यात्रा
थोड़ा-सा उत्तराखंड, थोड़ा-सा राजस्थान
थोड़ा-सा हिमालय, थोड़ी-सी अरावली
सम्भव है, कुछ अंश दिल्ली का होना भी
चूँकि मिट्टी जूतों पर थी
मैंने दोहरायी
नानाजी की सिखायी प्रातःकालीन क्षमा प्रार्थना
“पादस्पर्शं क्षमस्व मे”
मिट्टी को झड़कारकर बटोरा
और सम्भालकर रख दिया
ग्यारहवीं मंज़िल के अपने कमरे की अलमारी में
हर प्रवासी अपने-अपने प्रतीकों में सुरक्षित रखता है देश
सबके भीतर एक सहमा हुआ बहादुर शाह ज़फर बैठा है
जो अंत में लौट आना चाहता है अपने वतन
होने को राख या दफ़न
थोड़े से अन्न-पानी का उन्माद खींच लाता है
प्रवासी पक्षियों को विदेश
वे वहाँ बस जाने नहीं आते
मर जाने तो क़तई नहीं
उनकी पुतलियों में बसता है वापसी का रास्ता,
डैनों के सिरों पर
या देह और पंखों की परतों के अंतरजाल में
हर पक्षी रखता है महफ़ूज़
कहीं कुछ गंध, कुछ मिट्टी अपने देश की!