‘Prempatra’, a poem by Badrinarayan

प्रेत आएगा
किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा

चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुरायेगा
जुआरी प्रेमपत्र ही दाँव लगाएगा
ऋषि आयेंगे तो दान में माँगेंगे प्रेमपत्र

बारिश आयेगी तो प्रेमपत्र ही गलाएगी
आग आयेगी तो जलाएगी प्रेमपत्र
बंदिशें प्रेमपत्र पर ही लगायी जाएँगी

साँप आएगा तो डसेगा प्रेमपत्र
झींगुर आयेंगे तो चाटेंगे प्रेमपत्र
कीड़े प्रेमपत्र ही काटेंगे

प्रलय के दिनों में सप्तर्षि मछली और मनु
सब वेद बचायेंगे
कोई नहीं बचायेगा प्रेमपत्र

कोई रोम बचायेगा, कोई मदीना
कोई चाँदी बचायेगा, कोई सोना

मैं निपट अकेला कैसे बचाऊँगा तुम्हारा प्रेमपत्र…

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Book by Badrinarayan:

बद्रीनारायण
जन्म: 5 अक्टूबर 1965, भोजपुर, बिहार. कविता संग्रह: सच सुने कई दिन हुए, शब्दपदीयम, खुदाई में हिंसा. भारत भूषण पुरस्कार, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, शमशेर सम्मान, राष्ट्र कवि दिनकर पुरस्कार, स्पंदन सम्मान, केदार सम्मान