क्षणिकाएँ
|In क्षणिकाएँ
|By हर्षिता पंचारिया
Short Hindi Poems in Hindi by Harshita Panchariya
सहनशीलता
उबलते हुए दूध पर
ज़रा सी
फूँक मारकर
खौलने से
बचाने वाली
औरतें
अक्सर बचा लेती है
स्त्री जाति
का सर्वोत्तम गहना।
नव-सृजन
सभ्यता के
विकास की
शृंखला में
एक दिन
संसार की
समस्त स्त्रियों को
भाषा में
परिवर्तित होना
आवश्यक है।
……..
ताकि
स्त्रीत्व के
व्याकरण से
बाँझ होती
‘सभ्यता’
फिर से
नव-सृजित
हो सके।
दूरी
मुझे नहीं पता कि मुझे कितना सोचना चाहिए था
मुझे ये भी नहीं पता कि मुझे कितना बोलना चाहिए था
मैं बस इतना जानती हूँ कि
ये सोचने से लेकर बोलने के
मध्य की छोटी सी दूरी ही
संसार की
सबसे कठिनतम दूरी होती है
लौह
सुरक्षित रखती है स्त्रियाँ
गर्भ में लौह कणों के अवशेष,
ताकि समाप्त होती सभ्यता को
दे सकें,
एक सशक्त ‘हथियार’
पर वह भूल जाती है कि-
‘लोहा ही लोहे को काटता है’।
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