Tag: Death
ईश्वर की आँखें
क्या रह जाता है मृत्यु के बाद
जब पार हो जाती है देहरी
जीवितों और मृतों के बीच?
क्या तब पार हो जाएँगी सारी
सुबहें और रातें भी
स्मृति...
पिता की मृत्यु
किसी अधलिखी चिट्ठी की तरह चले गए पिता
सब कुछ बाक़ी रह गया धरा का धरा
अब वह कभी पूरा नहीं हो पाएगावो स्याही सूख रही है...
इतनी बड़ी मृत्यु
आजकल हर कोई, कहीं न कहीं जाने लगा है
हर एक को पकड़ना है चुपके-से कोई ट्रेन
किसी को न हो कानों-कान ख़बर
इस तरह पहुँचना है...
अन्तिम
क्या याद आता होगा मृत्यु के प्रारम्भ में
मर्मान्तक वेदना की लम्बी मौत
या कृतज्ञ बेहोशी में या उससे कुछ पहले—
एक बहुत नन्ही लड़की अँगुलियाँ पकड़ती हुई
या पास...
एक बार में सब कुछ
कुछ भी छोड़कर मत जाओ इस संसार में
अपना नाम तक भी
वे अपने शोधार्थियों के साथ
कुछ ऐसा अनुचित करेंगे कि तुम्हारे नाम की संलिप्तता
उनमें नज़र...
मृत्यु को नींद कहूँगा
अंतिम कविता
मृत्यु पर नहीं लिखूँगा
लिखूँगा जीवन पर'अंधेरा है' को कहूँगा 'प्रकाश की अनुपस्थिति-भर'
धोखे के क्षणों में याद करूँगा बारिश, हवा, सूरज
मेरे अंदर जन्मती घृणा को
बारिश...
मरने से पहले
मरने से एक दिन पहले तक उसे अपनी मौत का कोई पूर्वाभास नहीं था। हाँ, थोड़ी खीझ और थकान थी, पर फिर भी वह...
सड़क की छाती पर कोलतार
सड़क की छाती पर कोलतार बिछा हुआ है। उस पर मज़दूरों के जत्थे की पदचाप है। इस दृश्य के उस पार उनके दुख-दर्द हैं।...
‘कहीं नहीं वहीं’ से कविताएँ
'कहीं नहीं वहीं' से कविताएँ
सिर्फ़ नहीं
नहीं, सिर्फ़ आत्मा ही नहीं झुलसेगी
प्रेम में
देह भी झुलस जाएगी
उसकी आँच सेनहीं, सिर्फ़ देह ही नहीं जलेगी
अन्त्येष्टि में
आत्मा भी...
जो है
बचपन में वह नास्तिक नहीं था,
पिता को देखकर याद आ जाया
करते थे देवता
सुन रखी थीं जिनकी कहानियाँ
माँ से,
पत्थर हुई औरत का आख्यान पढ़कर
उसने यह...
अन्त के बाद
'कहीं नहीं वहीं' से
1
अन्त के बाद
हम चुपचाप नहीं बैठेंगे।फिर झगड़ेंगे।
फिर खोजेंगे।
फिर सीमा लांघेंगे।क्षिति जल पावक
गगन समीर से
फिर कहेंगे—
चलो हमको रूप दो,
आकार दो।
वही जो पहले...
मसान का फूल
पोड़ा बसंत शासन (ब्राह्मणों का गाँव) का जगू तिवारी कीर्तन करता है, मृदंग बजाता है, गांजा पीता है और मुरदा फूँकता है। मुरदों को...