Tag: Poem for kids

Subhadra Kumari Chauhan

यह कदम्ब का पेड़

यह कदम्ब का पेड़ | Yah Kadamb Ka Ped यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे। मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ ले...
Aarsi Prasad Singh

सैर सपाटा

'Sair Sapata', Hindi Poem for Kids by Aarsi Prasad Singh कलकत्ते से दमदम आए बाबू जी के हमदम आए हम वर्षा में झमझम आए बर्फी, पेड़े, चमचम लाए। खाते-पीते...
Well

गूँज

एक कुएँ के ऊँचे तट पर, गाता था लेटा चरवाहा! उठी तरंग किया मुँह नीचे, बोला हो-हो, हा-हा हा-हा! भरकर यह आवाज़ कुएँ में, लौटी ज्यों ही त्यों ही...
Rose, Flower, Hand

फूल और शूल

एक दिन जो बाग में जाना हुआ, दूर से ही महकती आई हवा! खिल रहे थे फूल रँगा-रंग के केसरी थे और गुलाबी थे कहीं, चंपई की बात...
Subhadra Kumari Chauhan

सभा का खेल

सभा-सभा का खेल आज हम खेलेंगे जीजी आओ, मैं गाधी जी, छोटे नेहरू तुम सरोजिनी बन जाओ। मेरा तो सब काम लंगोटी गमछे से चल जाएगा, छोटे भी खद्दर का...
Bird, Window

यदि मैं भी चिड़िया बन पाता

यदि मैं भी चिड़िया बन पाता! तब फिर क्या था रोज़ मजे़ से, मैं मनमानी मौज उड़ाता! नित्य शहर मैं नए देखता, आसमान की सैर लगाता! वायुयान की सी...
Shridhar Pathak

बिल्ली के बच्चे

बिल्ली के ये दोनों बच्चे, कैसे प्यारे हैं, गोदी में गुदगुदे मुलमुले लगें हमारे हैं। भूरे-भूरे बाल मुलायम, पंजे हैं पैने, मगर किसी को नहीं खौसते, दो...

मच्छर का ब्याह

मच्छर बोला- "ब्याह करूँगा मैं तो मक्खी रानी से" मक्खी बोली- "जा-जा पहले मुँह तो धो आ पानी से! ब्याह करूँगी मैं बेटे से धूमामल हलवाई के, जो दिन-रात मुझे...
Hafeez Jalandhari

कव्वा

आगे पीछे दाएँ बाएँ काएँ काएँ काएँ काएँ सुब्ह-सवेरे नूर के तड़के मुँह धो-धा कर नन्हे लड़के बैठते हैं जब खाना खाने कव्वे लगते हैं मंडलाने तौबा तौबा ढीट हैं...
Shridhar Pathak

उठो भई उठो

हुआ सवेरा जागो भैया, खड़ी पुकारे प्यारी मैया। हुआ उजाला छिप गए तारे, उठो मेरे नयनों के तारे। चिड़िया फुर-फुर फिरती डोलें, चोंच खोलकर चों-चों बोलें। मीठे बोल सुनावे मैना, छोड़ो...
Lollipop, Food

बड़ा मजा आता

रसगुल्लों की खेती होती, बड़ा मज़ा आता। चीनी सारी रेती होती, बड़ा मज़ा आता। बाग़ लगे चमचम के होते, बड़ा मज़ा आता। शरबत के सब बहते सोते, बड़ा मज़ा आता। चरागाह हलवे का होता, बड़ा...
Prabhakar Machwe

चूहा सब जान गया है

बिल्ली आँखें मींचे बैठी, होंठ जरा से भींचे बैठी, दुबली-सी वह पीछे बैठी, साँस मजे़ से खींचे बैठी, पर चूहा सब जान गया है, दुश्मन को पहचान गया है, चाल...
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