Tag: Rupam Mishra

Two Women on the Shore, Abstract

भ्रम

पौराणिक कथाओं में प्रेम पढ़-पढ़कर मैं सम्मोहित थी प्रेम के ख़ूबसूरत और श्रेष्ठ आयामों पर मैं रीझ बैठी थी अब मैं प्रेम बुन रही थी! अपनी प्रेम कहानी का...
Free and confident woman

जहाँ ढेर सारा अँधेरा था

जहाँ ढेर सारा अँधेरा था वहीं से मैंने रोशनी की शुरुआत की जहाँ अस्तित्व में आना गुनाह था वहीं से मैंने रोज़ जन्म लिया जहाँ रोने तक की आज़ादी नहीं थी वहाँ...

इस बार फिर लौट जाओ प्रिये

'Is Baar Phir Laut Jao Priya', a poem by Rupam Mishra इस बार फिर लौट जाओ प्रिये... देह के विहान होने पर ब्रह्ममुहूर्त में ही तुम्हें ढूँढने निकली...

कभी-कभी स्त्री होना अभिशाप लगता है

'Kabhi Kabhi Stree Hona Abhishaap Lagta Hai', a poem by Rupam Mishra कितनी चीज़ें हैं जिन्हें मैं कभी ठीक-ठीक समझ नहीं पायी पर उनसे उदासीन भी इतना रही...
Silence

ख़िलाफ़त

रूपम मिश्रा की कविता 'ख़िलाफ़त' | 'Khilafat', a poem by Rupam Mishra हम उसे बुरा नहीं कहेगें साथी! क्योंकि हमने ही उसे अच्छा कहा था! वो बारी-बारी...
Girls, Kids

ये लड़कियाँ बथुआ की तरह उगी थीं

ये लड़कियाँ बथुआ की तरह उगी थीं! जैसे गेहूँ के साथ बथुआ बिन रोपे ही उग आता है! ठीक इसी तरह कुछ घरों में बेटियाँ बेटों की चाह...
Middle aged woman

कहाँ गया वो पुरुष

मेरा जन्म वहाँ हुआ जहाँ पुरुष ग़ुस्से में बोलते तो स्त्रियाँ डर जातीं मैंने माँ, चाची और भाभी को हँसकर पुरुषों से डरते देखा वो पहला पुरुष— पिता को किसी से...
God, Abstract Human

ईश्वर नहीं आया

कहाँ हैं वो! जो अब भी कहते हैं कि ईश्वर सब देख रहा है! मैं पूछना चाहती हूँ तुम्हारे ईश्वर ने कब-कब क्या-क्या देखा? उसे ख़ुद की स्तुतिगान और प्रशंसा सुनने...
Rupam Mishra

प्रेम अप्रेम

'Prem Aprem', a poem by Rupam Mishra ठिठक जाती हूँ! देखकर उस दरीचे को जिसे कभी अनजाने में खोल बैठी थी ध्यान से देखा तो उस पर...
Giving Flower, Love, Joy, Happiness, Flower

पात्रता

'Paatrata', Hindi Kavita by Rupam Mishra प्रतिदिन उदास मन से विदा दे आती हूँ उस अरीति से चलकर आए प्रेम को! कि जाओ जहाँ तुम्हें तुम्हारा प्रतिदान मिले! पर...

तुम्हें भी उसी ईश्वर ने बनाया

'Tumhein Bhi Usi Ishwar Ne Banaya', a poem by Rupam Mishra जब भी मुझे सदियों की पीड़ा को परिभाषित करना पड़ा तो स्त्री और किन्नर ही पहली...
Confident Girl

देह छू ली कि आत्मा

'Deh Chhoo Li Ki Aatma', a poem by Rupam Mishra जाने कैसी-कैसी स्त्रियाँ हैं जिनकी दीठि मुझ पर है! जो औचक आकर मुझे छू लेती हैं मैं गिनगिना...
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