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शिकार के बखत चाची
आ गयी चाची, साड़ी सरियाती, निहाल, निश्चिन्त।
अपमान के ज़हर के दो घूँट पिए तो क्या हुआ?अब वहाँ क्या मालूम, बाथरूम मिलता कि नहीं मिलता।चाची...
संक्रमण-काल
1आज
हर देश का शव नितान्त अकेला है
हर देश का जीवित-भय एक हैएक है धरती
एक है आकाश
एक है पानी का रंग
एक ही स्वाद है आँसू का
एक है...
कविता विरोधी समय
'Kavita Virodhi Samay', a poem by Abhigyatयह कविता विरोधी समय है
क्योंकि
चापलूस सच नहीं बोलते
और कविता झूठ नहीं बोल सकती
अगर वह सचमुच कविता है तोजिस...
हमारा समय एक हादसा है
'Humara Samay Ek Hadsa Hai', a poem by Pranjal Raiदेवताओं के मुकुट सब गिर गए हैं
आधे टूटे पड़े हैं- धूल में नहाए हुए,
दुराग्रहों के...
समय
'Samay', a poem by Rag Ranjanक़दमों के उठने से बहुत पहले
शुरू हो चुका होता है सफ़रजिन्हें हम निर्णय मानते हैं
अक्सर वे लिए जा चुके...
समय ही नहीं मिलता है
'Samay Hi Nahi Milta Hai', Hindi Kavita by Sunita Daga'समय ही नहीं मिलता है'
कहते हुए
चुरा लेती हैं स्त्रियाँ
समय से कई-कई पल
आते-जाते सँवारती हैं
माथे पर की...
वक़्त का अजायबघर
तुम जब चाहो घर लौट आना
आने में ज़रा भी न झिझकना
यहाँ की पेचीदा गलियाँ
अभी भी पुरसुकून हैं
घुमावदार हैं मगर
बेहद आसान हैं
इनमें से होकर तुम
मज़े...
जाते वक़्त माँ
'Jate Waqt Maa', Hindi Kavita by Rashmi Saxenaजिस रोज़ गयी माँ
उम्र बच्चों से आकर लिपट गयी
मानों खींचकर बाँध दी गयी हो
रबड़ की भाँति बचपन परजैसे रात...
ऐसे वक़्त में
ऐसे वक़्त में,
जब नब्ज़ ढूँढने पर मालूम नहीं पड़ रही,
और साँसे भी किसी हादसे की ओट में उखड़ जाने की फ़िराक में हैं,
जब संगी-साथी दुनिया की...
डरे हुए समय का कवि
तब डरे हुए समय का कवि वहाँ पर विराजमान था
जब बिना शहीद का दर्जा पाए लौट रहा था अर्धसैनिक शहीद
और स्वागत में लीपा जा रहा...
रात का अपनापन
जब सब कुछ चुप हो, निःशब्द
तब का शोर सबसे तीव्र होता है।
बारिश की आखिरी बूँद का धीरे से भी
ज़मीन पर पैर रखना सुनाई दे...
सरस्वती के आविर्भाव के समय हिन्दी की अवस्था
'सरस्वती के आविर्भाव के समय हिन्दी की अवस्था' - अम्बिका प्रसाद वाजपेयीजिन मुसलमान आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण कर उसका शासन अनेक वर्षों तक...