Tag: Trees
पेड़
1
आसमान और धरती के बीच
छिड़े युद्ध में
पेड़ पृथ्वी के सिपाही हैं
जब कभी आसमान से गिरता है सैलाब
पेड़ ही बचाते हैं पृथ्वी के किनारे
मुझे नहीं...
पेड़
1
जितनी बारिश
मुझ पर बरसी,
उतना ही पानी
सहेजे रखा
जितना भी पानी
जड़ों से खींचा,
उतना ही
बादलों को दिया
जितना भी दे पाया
बादलों को.
उतनी ही बारिश
तुम पर भी बरसी
सहेजा गया
और...
मूल
अमावस-सी अंधियारी रात्रियों में
टॉर्च की चुभती तीखी रोशनी में
पत्थर की चोट सहता
पत्थर जैसा ही आ गिरता है धरा पर
वो मूक स्तब्ध अमराई का आम,
बाट...
पीड़ा
वृक्ष मूक नहीं होते, उनकी होती है आवाज़,
विरली-सी, सांकेतिक भाषा।
वो ख़ुद कुछ नहीं बोलते लेकिन
घोंसलों में भरते हैं नन्हें पक्षी जब
विलय की किलकारियाँ,
उनको रिझाने,...
गोबिन्द प्रसाद की कविताएँ
आने वाला दृश्य
आदमी, पेड़ और कव्वे—
यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है
इसमें जो कुछ छूट गया है
मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और
किसी...
सिर्फ़ पेड़ ही नहीं कटते हैं
तुम परेशान हो
कि गुलमोहर सूख रहे हैं
पेड़ कट रहे हैं
चिड़ियाँ मर रही हैं
और इस शहर में बसन्त टिकता नहीं...
इस्पात की धमनियों में
जब तक आदमी
अपने...
ख़ूब रोया एक सूखा पेड़
'Khoob Roya Ek Sookha Ped', a poem by Pramod Tiwari
याद कर
अपनी सघन छाया,
ख़ूब रोया
एक सूखा पेड़
पेड़ जिसकी छाँव से
हारे-थके रिश्ते जुड़े,
पेड़ जिसकी देह से
होकर कई...
पुकारना
'Pukaarna', a poem by Vishesh Chandra Naman
यह जाने बिना
कि पक्षी लौटे या नहीं
मेरे बोए पेड़ों की गर्मास में
नहीं पुकारता उन्हें
यह जानने के बाद
कि लौट...
कटते वन
'Katte Van', a poem by Preeti Karn
किसी दिन रूठ जाएगी कविता
जब कट जाऐंगे सड़क के
दोनों ओर लगे वृक्ष।
छाँव को तरसते पथिक
निहारेंगे याचना के अग्नि पथ
तप्त...
पेड़ों नें छिपाकर रखी तुम्हारे लिए छाँव
पेड़ों नें छिपाकर रखी तुम्हारे लिए छाँव
अपनी जड़ों में दबाकर रखी मिट्टी
बुलाया बादल और बारिशों को
सहेजे रखा पानी अपनी नसों में
दिए तुम्हें रंग
तितलियाँ, परिन्दें
घोंसलें...
झुलसे हुए पेड़
एक पेड़ गिराकर हर बार
मृत्यु की एक नयी परिभाषा गढ़ी जाती है
तुम्हारी छोड़ी गयी साँसों पर ही ज़िन्दा है जो
उसके काट दिये जाने से
उम्र...
एक पेड़
(पापा के लिए)
एक पेड़
मेरी क्षमता में जिसका केवल ज़िक्र करना भर है
जिसे उपमेय और उपमान में बाँधने की
न मेरी इच्छा है, न ही सामर्थ्य
एक...