एक बीड़ी सुलगाओ
या कोई मशाल जलाओ
कर दो हर तरफ़ धुआँ ही धुआँ
मुझसे शहद लेना है
तो आग की ज़रूरत पेश आयेगी
मैं मधुमक्खी हूँ
और मेरा समाज बहुत क्रूर है।
हर वो शख़्स
भले ही करता हो मज़दूरी
या कहलाता हो राजा
सबके पास अपने डंक हैं
अपनी आँखें विशेष रूप से बचाना
दिल को तो फिर भी
रख सकते हो तुम पर्दों में छुपा के।
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