Tag: भाषा

Rajesh Joshi

हमारी भाषा

यह कविता यहाँ सुनें: https://youtu.be/ejZxw4tNpIk भाषा में पुकारे जाने से पहले वह एक चिड़िया थी बस और चिड़िया भी उसे हमारी भाषा ने ही कहा भाषा ही ने दिया उस...
Virag Vinod

विराग की कविताएँ

प्रतीक्षा हमारे ख़ून में है जिन दिनों हम गर्भ में थे सरकारी अस्पताल की लाइन में लगी रहती माँ और डॉक्टर लंच के लिए उठ जाता, कहते...
Fairy Tale, Dreams, Sleep

खुलती रस्सियों के सपने

लम्बी फ़ुर्सत की तलाश में नया कहने, सुनने, गुनने की कैफ़ियत जाती रहती है ज़ुबान बंजर होती जाती है, साँस सँकरी वक़्त की अदृश्य रस्सियाँ पैरों को जकड़ती हुई धीरे-धीरे गर्दन तक...
Vishesh Chandra Naman

नयी भाषा

सड़कें, साइकिल और हमारे सजे हुए सपने किसी थकी हुई भाषा के शब्दों की तरह रुक गए हैं, चमत्कार की भाषा की चाह में हमने दूर से...
Gaurav Bharti

घोंसला, भाषा

घोंसला मुझे नहीं पता मेरे पास कितना वक़्त शेष है उम्र का कितना हिस्सा जी चुका कितना रह गया है बाक़ी मैं नहीं जानता आजकल बहुत कम सोता हूँ बहुत कुछ...
kunwar narayan

बात सीधी थी पर

बात सीधी थी पर एक बार भाषा के चक्कर में ज़रा टेढ़ी फँस गई। उसे पाने की कोशिश में भाषा को उलटा-पलटा तोड़ा-मरोड़ा घुमाया-फिराया कि बात या तो बने या फिर भाषा...
Hands, Touch

अवहेलना

सृष्टि की अनछुई देह पर पहला प्रेम स्पर्श 'मौन' का था जो भाषा से असहमत था फिर भी आदम और हव्वा- जिन्हें शाब्दिक स्पर्श की कोई अनुभूति नहीं...
Usha Dashora

भाषा के कोई सरनेम नहीं होते

हमारी आठवीं की उस संस्कृत कक्षा में तैरा करते थे शब्द रूप और धातु रूप खिड़कियों पर लटके रहते थे हलंत और विसर्ग के कड़क नियम जिन्हें उछलकर...
Kunwar Narayan

प्यार की भाषाएँ

'Pyar Ki Bhashaein', a poem by Kunwar Narayan मैंने कई भाषाओं में प्यार किया है पहला प्यार ममत्व की तुतलाती मातृभाषा में, कुछ ही वर्ष रही वह जीवन में दूसरा...
Harshita Panchariya

प्रेम की भाषा

आँखों की अभिव्यक्ति संसार की श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति है, आलिंगन संसार की सर्वोत्तम चिकित्सा पद्धति है, स्पर्श से बेहतरीन कोई अनुवाद नहीं, चुम्बन से उच्चतर कोई अनुभूति नहीं। प्रेम की अभिव्यक्ति दो आत्माओं के...

अबूझ भाषा का प्रेम

'Aboojh Bhasha Ka Prem', poems by Preeti Karn 1 तुम्हें अब तक सीख लेनी चाहिए कविता की अबूझ भाषा! ऐसा कुछ भी अज्ञात नहीं जो इसकी परिधि के परे...

भाषा का न्यूटन

'Bhasha Ka Newton', a poem by Prem Prakash भाषा के न्यूटन ने जब लिखा होगा संधि-विच्छेद का नियम तब पैदा नहीं हुए होंगे चाणक्य न ही होती होगी राज्यों...
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