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राम दयाल मुण्डा की कविताएँ
सूखी नदी/भरी नदी
सूखी नदी
एक व्यथा-कहानी
जब था पानी
तब था पानी!
भरी नदी
एक सीधी कहानी
ऊपर पानी, नीचे पानी।
विरोध
उसे बाँधकर ले जा रहे थे
राजा के सेनानी
और नदी
छाती पीटकर...
क्षणिकाएँ : कैलाश वाजपेयी
स्पन्दन
कविता हर आदमी
अपनी
समझ-भर समझता है
ईश्वर एक कविता है!
मोमिन
पूजाघर पहले भी होते थे,
हत्याघर भी
पहले होते थे
हमने यही प्रगति की है
दोनों को एक में मिला दिया।
आदिम...
नदी
नदी : नौ कविताएँ
1
नदी को देखना
नदी को जानना नहीं है
नदी को छूना
नदी को पाना नहीं है
नदी के साथ सम्वाद
नदी की तरह भीगना नहीं है
नदी...
नदी और सागर
'Nadi Aur Sagar', a poem by Rupam Mishra
एक दिन शरद की सुहानी-सी रात थी
प्रकृति ने ज्योत्स्ना के साथ जैसे
प्रणय भी बिखेर दिया था वातावरण...
नदी से रिश्ता
'Nadi Se Rishta', a poem by Rag Ranjan
तब तक नहीं होता
अकेलेपन का एहसास
जब तक ठहरी नदी में
कोई हलचल न हो,
किनारे लगी नाव
चुप देखती है
हवा...
लूनी नदी
'Looni Nadi', a poem by Deepak Jaiswal
अमूमन नदियाँ समंदर में जाकर मिल जाती हैं—
पूर्णता को धारण करते हुए
एक सुंदर जीवन जीते हुए।
लेकिन कुछ नदियों...
बारिश के दिनों में नदी का स्मृति-गीत
'Barish Ke Dino Mein Nadi Ka Smriti Geet', Hindi Kavita by Prabhat Milind
1
स्वप्न में बहती है चौड़े पाट की एक नदी
बेआवाज़ याद का कंकड़...
अनुवाद तुम
आँखों की नमी
प्रेम की भाषा है।
भाषा एक नदी है,
नदी पानी का अनुवाद।
अनुवाद दो किनारों का
संवाद है,
संवाद के लिए
जरूरी नहीं भाषा।
प्रेम की एक ही
भाषा है,
'तुम'...
समय की नदी पर पुल नहीं होता (कविता संग्रह)
रोटी
प्रेम और भूख
पशु
आजकल प्रेम
जहाँ दो प्रेमी रहते हों
तुम और मैं
एक दिन
अनुत्तरित
पत्थर और पानी
व्याकरण
नदी के दोनों पाट
नदी के दोनों पाट लहरते हैं
आग की लपटों में
दो दिवालिए सूदखोरों का सीना
जैसे फुँक रहा हो
शाम हुई
कि रंग धूप तापने लगे
अपनी यादों की
और नींद...
‘अक्टूबर’: एक नदी जिसमें डूबकर मर जाने से भी कोई परहेज नहीं।
जब किसी अपने का हाथ छूट रहा हो तो अंतर काँप उठता है। एक टूटन महसूस होने लगती है, एक डर पैदा होता है,...