Tag: Devesh Path Sariya

Des - Vinod Padraj

‘देस’ : देशज सन्दर्भों का आख्यान

कविता संग्रह: 'देस' कवि: विनोद पदरज प्रकाशक: बोधि प्रकाशन टिप्पणी: देवेश पथ सारिया विनोद पदरज देशज कवि हैं। वे राजस्थान की खाँटी संस्कृति का हिन्दी कविता में सशक्त...
Devesh Path Sariya

स्त्री से बात

स्त्री से बात करने के लिए निश्चित तौर पर तुम में होना चाहिए सलीक़ा फिर सीखो उसे सुनते जाना उसकी चुप्पी के आयाम तक कभी आज़माओ ख़ुद भी बातें बनाना कभी चुप...
Orhan Veli Kanik

ओरहान वेली की दो कविताएँ

कविताएँ: ओरहान वेली अनुवाद: देवेश पथ सारिया मेरी पूर्व पत्नी हर रात तुम मेरे सपनों में आती हो हर रात मैं तुम्हें साटन की सफ़ेद चादर पर देखता...
Harry Potter - Voldemort

सपने में वॉल्डेमॉर्ट

आप जानते हैं रॉल्फ़ फ़ाइंस को? "तुम जानते हो कौन... वो, जिसका नाम नहीं लिया जाना चाहिए!" हाँ वही, जो वॉल्डेमॉर्ट बने थे हैरी पॉटर में जिसे देख काँप उठती थी बच्चों...
Nicanor Parra

निकानोर पार्रा की कविताएँ

निकानोर पार्रा चिलियन कवि हैं। प्रस्तुत कविताओं का हिन्दी में अनुवाद देवेश पथ सारिया ने किया है। कविताएँ लोगोज़ जर्नल पर उपलब्ध लिज़ वर्नर...
Flower, Hand

फ़रवरी: वसन्त और प्रेम की कुछ कविताएँ

छोटा पीला फूल जिन छोटे-छोटे फूलों का हम नाम नहीं जानते अवसाद के क्षणों में घास, झाड़ी या पत्तियों में से उँगली बढ़ा वही हमें थाम लेते हैं घास में उगे उस पीले...
Maya Angelou

माया एंजेलो की कविता ‘मैं फिर भी उठती हूँ’

तुम मेरा इतिहास लिख सकते हो अपने कड़वे, मुड़े-तुड़े झूठों से तुम मुझे गंदगी में कुचल सकते हो फिर भी, धूल की तरह, मैं उठूँगी। क्या मेरी उन्मुक्तता...
Pisa Tower

पीसा की झुकी मीनार पर

कोई उसे धक्का मारकर टेढ़ा कर देने का श्रेय लेना चाहता था कोई जुड़ जाना चाहता था उछलकर सूरज और मीनार को जोड़ती काल्पनिक सरल रेखा...
Mangalesh Dabral

भाषा के एक सेतु कवि का जाना

वरिष्ठ कवि, अनुवादक एवं सम्पादक मंगलेश डबराल के जाने का दुःख बहुत बड़ा है। शायद हिन्दी समाज को पता ही नहीं चला कि वे कब...
Dictatorship

क्या तानाशाह जानते हैं

क्या तानाशाह जानते हैं कि मुसोलिनी के ज़हर उगलने वाले मुँह में डाला गया था मरा हुआ चूहा एक औरत ने सरेआम स्कर्ट उठाकर मूत दिया था मुसोलिनी के मुँह पर लटकाया...
Language, Chalk Board

विलुप्त भाषा

क्या हुआ होगा उन भाषाओं का जिन्हें बोलने वाले लोग करते गए पलायन और अपने नए ठिकाने पर बोलने लगे नई स्थानीय भाषा छोड़ते गए अपनी माँ-बोली को पिछड़ेपन की...
Durga Puja 2

ताइवान में दुर्गा-पूजा

नेपथ्य की नर्तकी वह जिसने भाग नहीं लिया मंच पर किसी नृत्य में खुलकर नाच रही है मंच से नीचे गा रही है हर बांग्ला गीत दोहरा रही है...
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