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बातचीत: ‘मिसॉजिनि क्या है?’
पढ़िए तसनीफ़ और शिवा की मिसॉजिनि (Misogyny (शाब्दिक अर्थ: स्त्री द्वेष)) पर एक विस्तृत बातचीत। तसनीफ़ उर्दू शायरी करते रहे हैं, उन्होंने एक नॉविल...
कविताएँ: जून 2020
मुक्तावस्था
मंडी हाउस के एक सभागार में
बुद्धिजीवियों के बीच बैठी एक लड़की
नाटक के किसी दृश्य पर
ठहाके मार के हँस पड़ती है
सामने बैठे सभी लोग
मुड़कर देखते...
मैं आज़ाद हुई हूँ
खिड़कियाँ खोल दो
शीशे के रंग भी मिटा दो
परदे हटा दो
हवा आने दो
धूप भर जाने दो
दरवाज़ा खुल जाने दो
मैं आज़ाद हुई हूँ
सूरज आ गया है मेरे कमरे में
अन्धेरा...
उड़ान
और एक दिन वह सब काम-धन्धे छोड़कर घर से निकल पड़ी।
कोई निश्चित प्रोग्राम नहीं था, कोई सम्बन्धी बीमार नहीं था, किसी का लड़का पास...
हाथ खोल दिए जाएँ
मेरे हाथ खोल दिए जाएँ
तो मैं
इस दुनिया की दीवारों को
अपने ख़्वाबों की लकीरों से
सियाह कर दूँ
और क़हर की बारिश बरसाऊँ
और इस दुनिया को अपनी...
स्त्रियों, चलो कहीं और चलें
'Striyon Chalo Kahin Aur Chalein', a poem by Rupam Mishra
ये शयनकक्ष से संसद तक काँटेदार हँकना लेकर खड़े हैं
जो हमारे ज़रा से इंकार पर...
एकता प्रकाश की कविताएँ
Poems: Ekta Prakash
डर
जब आप किसी अपने को खोने से डरते हैं
भय आपको खाता है,
ख़ामोशी आकर चुपके-से
ओठों को सील जाती है,
गूँगा बनना आपके लिए
उस वक़्त बेहतर...
ग़ुलाम आज़ादी
मंगतराम ने दी है
अपनी औरत को आज़ादी
नौकरी करने की
सुबह सवेरे जब मास्टरनी बीवी
चली जाती है स्कूल
मंगतराम दुकान पर जमाता है महफ़िल,
ताश पत्तों संग
ख़ूब हँसी-ठिठोली...
आज़ादी
अनुराग अनंत की कविता 'आज़ादी' | 'Azadi', Hindi poem by Anurag Anant
एक प्यास का जंगल है
जो पानी के रेगिस्तान पर उग आया है
फ़िदाइन मन...
आज़ादी: एक पत्र
'Azadi : Ek Patr', Hindi Kahani by Bhuvaneshwar
वही मार्च का महीना फिर आ गया। आज शायद वही तारीख़ भी हो। पर मेरे लिखने का...