कहानी

Read here best Hindi Stories and translated regional Indian stories by renowned and new writers.

इस पेज पर आप हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं की उत्कृष्ट कहानियाँ पढ़ सकते हैं!

कुछ चुनिंदा कहानियाँ / Selections from Hindi Stories —

‘खुचड़’ – प्रेमचंद

“मुझे यह हुक्म न मिला था। मुझसे जवाब-तलब होता कि एक रुपया ज़्यादा क्यों दे दिया। ख़र्च की किफ़ायत पर उपदेश दिया जाने लगता, तो क्या करती।”

‘फाहा’ – सआदत हसन मंटो

“इस मरहम से तो आराम आ जाएगा न?”

‘आशा अमर धन’ – विजयदान देथा

“तुम्हें हाथ लगाने की भी ज़रूरत नहीं। मैं बड़ी सफ़ाई से सारा काम सलटा दूँगी।”

‘साँवली मालकिन’ – ईहरिकुमार

“हर रोज़ वह यही सपना देखती है – माँ आती है, उसे गले से लगाती है। गोद में बैठाती है, उसके बालों को सहलाती है। रोज़ सपने में माँ को देखती तो है। पर माँ का चेहरा याद नहीं रहता। फिर भी मिलने का संतोष बना रहता है।”

‘बुलबुल’ – तरन्नुम रियाज़

“और फिर मुझे दिन-भर करना ही क्या होता है। वो ठीक ही कहते हैं, काम वाली कपड़े धोती है, सफ़ाई करती है। अब ऐसा कौन-सा काम रह जाता है। ज़रा सा बच्चों को ही तो देखना होता है।”

‘जंगली बूटी’ – अमृता प्रीतम

“एक जंगली बूटी होती है। बस वही पान में डालकर या मिठाई में डालकर खिला देता है। छोकरी उससे प्रेम करने लग जाती है। फिर उसे वही अच्छा लगता है, दुनिया का और कुछ भी अच्छा नहीं लगता।”

‘बंद कमरे में क़ब्रगाह’ – राजकमल चौधरी

“नहीं”, नीलू ने कहा, और हमारी ओर देखती हुई मुस्कराती रही जैसे वह स्टूडियो के सेट पर हो और द्रौपदी चीरहरण की शूटिंग में हिस्सा ले रही हो। जैसे वह द्रौपदी नहीं, कृष्ण हो, कृष्ण भी नहीं, दुश्शासन हो। वह नीलगिरि नहीं, दुश्शासन है और ब्रह्मदत्त मिस्त्रीवाला, द्रौपदी है। नाटक उल्टा चल रहा है। शूटिंग ग़लत हो रही है। डायरेक्टर चीख़ना चाहता है, ‘कट करो, शूटिंग रोक दो’ मगर गले से आवाज़ नहीं निकल रही है। अमरनाथ चुपचाप अपने गिलास में स्कॉच डाल रहा है। नीलगिरि मुस्कराए जा रही है।

Keep scrolling for recently added Hindi Stories…

ख़ुशिया

ख़ुशिया सोच रहा था। बनवारी से काले तम्बाकूवाला पान लेकर वह उसकी दुकान के साथ लगे उस संगीन चबूतरे पर बैठा था जो दिन के...

सवा सेर गेहूँ

किसी गाँव में शंकर नाम का एक कुरमी किसान रहता था। सीधा-सादा ग़रीब आदमी था, अपने काम-से-काम, न किसी के लेने में, न किसी...

इन्तिज़ार हुसैन की कहानी ‘चूहेदानी’

मूल कहानी: इंतिज़ार हुसैन अंग्रेज़ी से अनुवाद: उपमा 'ऋचा' भूमिका: सस्ते चावलों ने यहाँ ऐसी क़यामत बरपायी कि पूछिए ही मत। हाँ जनाब, क़यामत यानी चूहे......

मेहमान

शीतला प्रसाद का हाथ हवा में ही रुक गया। संध्या-स्नान-ध्यान के बाद चौके में पीढ़े पर बैठे बेसन की रोटी और सरसों के साग...

साग-मीट

साग-मीट बनाना क्‍या मुश्किल काम है! आज शाम खाना यहीं खाकर जाओ, मैं तुम्‍हारे सामने बनवाऊँगी, सीख भी लेना और खा भी लेना। रुकोगी...

क़ब्ल-अज़-तारीख़

सुबह से माँ के घुटनों का दर्द तेज़ था। पिछली रात देसी बाम, गरम पानी और तेल का कोई ख़ास असर नहीं हुआ। इधर...

ख़ून

उनका इन्तक़ाल अचानक हुआ था। उन दिनों अपने फ़्लैट में वे अकेले थे। बीवी बेटे के पास कनाडा गई हुई थीं। फ़्लैट में उनके अलावा...

जीतेंद्र, घुघरी और वीकेण्ड

साभार: किताब: जीरो पीरियड | लेखक: अविनाश सिंह तोमर | प्रकाशन: एका वेस्टलैण्ड / हिन्द-युग्म "गोलू, ओये गोलू! पिक्चर शुरू हो गई, नम्बरिंग स्टार्ट है,...

पलाश के फूल

नये मकान के सामने पक्की चहारदीवारी खड़ी करके जो अहाता बनाया गया है, उसमें दोनों ओर पलाश के पेड़ों पर लाल-लाल फूल छा गए...

साढ़े तीन आने

"मैंने क़त्ल क्यों किया। एक इंसान के ख़ून में अपने हाथ क्यों रंगे, यह एक लम्बी दास्तान है। जब तक मैं उसके तमाम अवाक़िब...

बाय-बाय

नाम उसका फ़ातिमा था पर सब उसे फ़ातो कहते थे। बानिहाल के दर्रे के उस तरफ़ उसके बाप की पनचक्की थी जो बड़ा सादा...

छुट्टी का दिन

पड़ोस के फ़्लैट में छोटे बच्चे के चीख़-चीख़कर रोने से माया की नींद टूट गई। उसने अलसाई पलकें खोलकर घड़ी देखी, पौने छह बजे...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)